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16 Lallantop Kahaniyan – Volume 2
यह ‘लल्लनटॉप कहानी कॉम्पिटिशन’ के तीसरे संस्करण में सामने आयी 16 कहानियों की किताब है। कहानियों की दुनिया अजीब है और यह दुनिया सामने के सच को सूचना की तरह नहीं, कल्पनाशीलता के साथ सुनाने की माँग करती है। जब यह माँग किसी प्रतियोगिता से जुड़ जाती है, तब प्रसंग कुछ और खास हो जाता है। इस अर्थ में ‘लल्लनटॉप कहानी कॉम्पिटिशन’ अपनी तरह की एकमात्र साहित्यिक प्रतियोगिता है, जिसके नियम और पुरस्कार राशि दोनों ही ‘कोई दूसरा नहीं’ की शक्ल लिए हुए हैं। इस अनूठेपन में यह एक और अवसर है-कहानियों की आँच और चमक से रू-ब-रू होने का।
SKU: VPG9388434928 -
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Aadivasi Katha
आज के प्रश्न – आदिवासी कथा –
महाश्वेता देवी आदिवासियों के अधिकारों और समानता पर लगातार लिखती आयीं हैं। उनकी पुस्तक ‘आदिवासी कथा’ में उन्होंने आदिवासी जीवन के मुद्दे, समस्यायें, और अन्तर्विरोधों को दर्शाने का प्रयास किया है। आदिवासी जिस स्थिति और मनोदशा में अपना जीवन जीते हैं, उसी को महाश्वेता देवी ने शब्द दिये हैं। यह पुस्तक आदिवासियों और साधनहीनों के संघर्षों, यातनाओं और राजनीति के चक्रव्यूह में फॅंसे आदिवासियों की मानसिक प्रताड़नाओं की प्रामाणिक अनुगूँज को पाठकों तक मज़बूती से पहुँचाती है।SKU: VPG8181431288 -
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Aaj Ki Urdu Kahani
आज की उर्दू कहानी –
समकालीन उर्दू कहानियों में भारत व पाकिस्तान के उन कथाकारों की कहानियाँ शामिल हैं जिनका जन्म पाँचवें दशक के बाद हुआ। इन कहानियों का संचयन तथा अनुवाद के पीछे अभिप्राय था——दोनों देशों के आज के साहित्य की दशा व दिशा की पड़ताल। इनमें सम्मिलित भारत के अधिकांश उर्दू कथाकारों से हिन्दी के पाठक परिचित हैं। परन्तु पाकिस्तान के रचनाकारों से हिन्दी के पाठक क्या, उर्दू के पाठक भी कम ही परिचित होंगे। हिन्दी के पाठकों को यह भी नहीं पता कि अभी वहाँ किन विषयों और प्रवृत्तियों पर लिखा जा रहा है, वहाँ की शैली में क्या परिवर्तन आया है तथा उनके लेखन पर किन-किन विचारधाराओं और आन्दोलनों का प्रभाव पड़ा है।
भारत-बँटवारे के पूर्व का दशक उर्दू साहित्य का स्वर्ण युग माना जाता है। उस समय के चन्द रचनाकार ऐसे हैं जिन्होंने आज़ादी के पूर्व ही प्रसिद्धि के शिखर को छू लिया था और आज भी उनकी रचनाएँ उर्दू साहित्य में प्रमुख स्थान रखती हैं। हाँ, दोनों देशों में वैचारिक, सांस्कृतिक फ़र्क़ हो सकता है परन्तु समाजी, मआसी (जीवन-यापन), महँगाई, बेरोज़गारी, ग़रीबी भूख व आतंकवाद जिनका सम्बन्ध मानवीय मूल्यों के उत्थान-पतन से है उनमें स्पष्ट तौर पर देखा जा सकता है।
ये सभी कहानियाँ यथार्थ की हैं परन्तु कलात्मकता के साथ समाज के विभिन्न पहलुओं के रंग को अपने में समेटे हुए। वस्तुस्थिति तथा ज़मीनी सच्चाई से साक्षात्कार करातीं।
इन कहानियों से गुज़रते हुए पाठक साफ़ तौर पर महसूस कर पायेंगे कि दोनों देशों की उपयुक्त समस्याएँ समान रूप से दोनों ही जगह गम्भीर चुनौती पेश कर रही हैं तथा दोनों मुल्कों के ये रचनाकार अपनी लेखनी के माध्यम से मानवीय मूल्यों को सँजोये रखने के लिए समान रूप से जूझ रहे हैं।SKU: VPG9326352338 -
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Aakhir kya Hua ?
आखिर क्या हुआ! –
लोकनाथ यशवंत की कविता ईसा मसीह को कीलें ठोंकने वाली हिंसा सत्ता से दूर है। यूँ देखा जाये तो प्रत्येक जनकवि, कलाकार हमेशा सरकारी सत्ता, दमनसत्ता के विरोध में ही रहता है। अच्छे लोककवि की प्रमुख विशेषता यह होती है कि वह हमेशा जनता का पक्षधर होता है और प्रस्थापितों का विरोध करता है। वामपंथी विचार उसके काव्य की प्रमुख विशेषता होती है। ताकत होती है। लोकनाथ यशवंत की कविता सामान्यजन की कविता है। कवि नग्न व्यवस्था का आईना सहजता तथा स्पष्टता से बतला देता है और इसीलिए उनकी कविता सभी शोषितों की कविता बन जाती है…।
– बाबुराव बागूल
अन्तिम पृष्ठ आवरण –
तेज़ तर्रार नज़रों का एक गिद्ध
चक्कर लगाकर चला गया… और मौत के अहसास से
हराभरा खेत लोहे का हो गया।
खेतों ने मिट्टी को नकारा
रबड़ की गाँव भूमि पत्थर हो गयी…
माँ की नज़र से व्यवहार बोलने लगा
जब एक गिद्ध अपनी नज़र से गाँव को देखकर चला गया।
यहाँ के पेड़ अब सीमेंट के हो जायेंगे,
हमारे होंठ पानी माँगकर सूख जायेंगे।
एक बिल्डर इधर आ क्या गया,
हमारा रुई जैसा दिल कंकरीट का हो गया।SKU: VPG9350729366 -
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Aansuon Ki Siyaahi Se
आँसुओं की सियाही से –
भाषाएँ प्रेम, सौहार्द और संवेदना को जन्म देती हैंI कविता भाषा की सर्वोत्तम शाखा है जिस पर यह सभी पुष्प खिलते हैंI दरअसल हम सभी कभी न कभी ऐसे संसार से होकर गुज़रते हैं जो आवेग में हमारे मनोभावों को नियन्त्रित करने का प्रयास करता हैI यह कविता संग्रह कुछ इसी कामना से परिपूर्ण दिखाई देता है जो स्वप्न, आनन्द और भीतरी लक्षणाओं से प्रेरित हैI जो यह देख पाने में समर्थ है कि प्रेम की मधुरता, शिकायत की तल्ख़ी, सम्बन्ध में करूण भावना और इनसे मिलती-जुलती दूसरी भावनाओं को लेकर कवि ने बख़ूबी अपनी संवेदनाएँ प्रकट की हैं। ये कविताएँ नेपाल ही नहीं बल्कि भारत के हिन्दी साहित्य में एक कौंध की तरह प्रतीत होती हैंI हालाकि इनमे नेपाल का परिवेश, संस्कृति और वहाँ के जीवन का उल्लास शामिल है तो भी मानवीय गुणों में पगी यह कविताएँ अपने सौन्दर्य बोध में दीप्तिमान हैंISKU: VPG9350729311 -
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Abhi Jo Tumane Kaha
अभी जो तुमने कहा –
नरेश चन्द्रकर बुनियादी सरोकारों के कवि हैं। रोज़मर्रा की ज़िन्दगी और बेतरतीब भागती दुनिया, जिसे पास से छूने की फ़ुरसत नहीं है। पर नरेश चन्द्रकर जिसे छूते हैं, उसे ज़रा ठहरकर देखते हैं और वहाँ जो लम्हा, वहाँ एक छोटा-सा क्षण उनके क़ाबू में आता है, उसे कविता का रूप देते हैं। उनकी कविता ‘कांटेक्ट लेंस’ को ही देखिये। यहाँ से सयानी होती बिटिया को देख रहे हैं कि वह ज़िन्दगी के यथार्थ को असल आँखों से देख रही है— चश्मा उतर चुका है और वह ज़िन्दगी के साथ सीधे रू-ब-रू है।
नरेश ने छोटी-छोटी चीज़ों पर कविताएँ लिखी हैं और वे चीज़ें अचानक महत्त्वपूर्ण हो उठती हैं। दरअसल उनकी संवेदना का उन चीज़ों पर चस्पाँ हो जाने से जैसा लगता है कि हम ज़िन्दगी जी रहे हैं। यह अहसास नरेश चन्द्रकर की कविताओं में बार-बार आता है। ‘बिजली का बिल’, ‘नाई की दुकान’, ‘प्रूफ़ रीडिंग’, ‘बेचैनी’, ‘वृद्धजन’ कुछ इसी तरह की कविताएँ हैं।
नरेश चन्द्रकर की कविताओं में जो सबसे महत्त्वपूर्ण और उल्लेखनीय बात है, वह यह है कि वे भाषा के साथ खेल नहीं करते। वहाँ कोई मौलिक अभ्यास करते हुए भी नहीं दिखाई देते— लेकिन कविता अलग दिखती है— अपने शिल्प में भी और भाषा के स्तर पर भी। नरेश की कुछ कविताएँ अपने अग्रज कवियों पर हैं, जो परम्परागत जीवन मूल्यों के साथ उनकी अभिव्यक्ति जीवन-यथार्थ को व्यक्त करती है। जैसे कि शिवकुमार मिश्र, मुक्तिबोध और मक़बूल फ़िदा हुसैन की पेंटिंग पर उनकी कविताएँ।
नरेश की कविताओं को पढ़कर लगता है, उनकी सोच नया विस्तार पाने को आकुल है और उन्हें एक बड़े कैनवास में तब्दील करने की सम्भावनाओं की तलाश है।SKU: VPG9326352994 -
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Abootar Kabootar
सादगी उदय प्रकाश की कविताओं की जान है जो हर उस आदमी से तुरंत रिश्ता कायम कर लेती है जो सामाजिक अन्याय और शोषण की मार उन लोगों के बीच बैठा सह रहा है, जिनके पास आंदोलन और नारे नहीं हैं, सिर्फ़ खाली अकेले न होने का अहसास भर है…।…ये कविताएँ पाठक की संवेदना में बहुत कुछ ऐसा तोड़फोड़ कर जाती हैं, जिनके सहारे वह फिर कुछ नया रचने की जरूरत महसूस करने लगता है। किसी भी यातना को कवि बिना उस यातना से मानसिक रूप से गुज़रे हुए प्रेषित नहीं कर सकता। उदय प्रकाश की कविताएँ काफ़ी कुछ इसकी दुर्लभ मिसाल हैं। -सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
SKU: VPG9389915068 -
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Abootar Kabootar
सादगी उदय प्रकाश की कविताओं की जान है जो हर उस आदमी से तुरंत रिश्ता कायम कर लेती है जो सामाजिक अन्याय और शोषण की मार उन लोगों के बीच बैठा सह रहा है, जिनके पास आंदोलन और नारे नहीं हैं, सिर्फ़ खाली अकेले न होने का अहसास भर है…।…ये कविताएँ पाठक की संवेदना में बहुत कुछ ऐसा तोड़फोड़ कर जाती हैं, जिनके सहारे वह फिर कुछ नया रचने की जरूरत महसूस करने लगता है। किसी भी यातना को कवि बिना उस यातना से मानसिक रूप से गुज़रे हुए प्रेषित नहीं कर सकता। उदय प्रकाश की कविताएँ काफ़ी कुछ इसकी दुर्लभ मिसाल हैं। -सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
SKU: VPG9352296972 -
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Achchhe Din
अच्छे दिन –
‘अच्छे दिन’ कहानी संग्रह केशव दुबे का एक यादगार संग्रह है जिसमें मन को कचोटती स्मृतियाँ हैं। पाठक इन कहानियों में अपना जीवन, अपना समाज और अपना प्रतिबिम्ब देखता है। इनकी कहानियों पर आधुनिक समाज का असर तो है ही, साथ ही संस्कार और अन्त:र्निहित दुविधाएँ भी शामिल हैं जो इन्हें पाठकों के साथ बाँधे रखती हैं।SKU: VPG8188473502 -
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Adhi Aurat Adha Khwab
औरत… औरत… औरत… बुरी, अच्छी, बेवफा, बावफा, ऐसी, वैसी और ख़ुदा मालूम कैसी-कैसी। हर मुल्क और हर ज़माने में बड़े-बड़े चिन्तकों ने औरत के बारे में कोई न कोई राय ज़रूर कायम की है, कोई साहब उसके हुस्न पर ज़ोर दे रहे हैं तो कोई उसकी पारसाई और नेक सीरती पर मुसिर हैं, एक साहब का ख़याल है कि “ख़ुदा के बाद औरत का मर्तबा है” तो दूसरे साहब उसे “शैतान की ख़ाला” बनाने पर तुले हुए हैं। एक साहब फरमाते हैं “एक धोखेबाज़ मर्द से एक धोखेबाज़ औरत अधिक ख़तरनाक होती है।” जैसे कोई यह कहे कि काले मर्द से एक काली औरत अधिक काली होती है। कितनी शानदार बात कही है कि बस झूम उठने को जी चाहता है और अगर मैं खुद औरत न होती और उनकी बात ने मुझे बौखला न दिया होता तो कहने वाले का मुँह चूम लेती। मुसीबत तो यह है कि इन नामाकूल बातों ने सिट्टी गुम कर रखी है। और मज़े की बात तो यह है कि जितना मर्दो ने औरत को समझने का दावा किया है उतना औरतों ने मर्दो के सम्बन्ध में कभी ऐसी बात अपनी अक़ल से नहीं बनायी। सदियों से औरत के सर ऐसे ऊटपटाँग इल्ज़ाम थोपकर चिन्तक ऐसे बौखलाने की कोशिश करते आये हैं, या तो वह उसे आसमान पर चढ़ा देते हैं या उसे कीचड़ में पटक देते हैं। मगर दोस्त और साथी कहते शरमाते हैं। पुस्तक अंश
SKU: VPG9350008393 -
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Adhoori Kahani
अधूरी कहानी –
अपने ढंग के अनोखे कथाकार विष्णु प्रभाकर ने हिन्दी कहानी को यह सिखाया कि व्यर्थ की पहेलियों से बच कर सीधे-सीधे समझ में आने वाली कहानी कैसे लिखी जाये। वस्तुतः इसी रास्ते चलकर हिन्दी कहानी की समृद्ध परम्परा का विकास हुआ है। प्रस्तुत संकलन में शामिल विष्णु प्रभाकर की कहानियाँ इस तथ्य का साक्ष्य हैं कि अपने आस-पास के दैनन्दिन इतिहास की रचनात्मक प्रस्तुति को कहानी में कैसे सम्भव किया जा सकता है। लेखक अपनी कहानियाँ ऐसे जाने-पहचाने पात्रों के माध्यम से प्रस्तावित करता हैं जिनसे हम रोज़ मुठभेड़ करते हैं। इस प्रक्रिया में विष्णु प्रभाकर आम आदमी के जीवन की सामान्य परिस्थितियों को देशकाल के पर्यावरण में बदल देते हैं। दूसरे शब्दों में, पाठक के माध्यम से समय और समाज को विष्णु प्रभाकर की कहानियों में देख, समझ सकता है। समय और समाज पर ऐसी अचूक पकड़ इन दिनों लगभग दुर्लभ है। इसलिए यथार्थ की ऐसी विश्वसनीय प्रस्तुति कम देखी जाती है। विष्णु प्रभाकर की ख़ूबी यह है कि वे यह असाधारण काम आमफहम भाषा में करते हैं।
विष्णु प्रभाकर के यहाँ विचार, नारों की तरह शोर-गुल में नहीं बदलता और न फार्मूलाबद्ध चालाक जुगत की तरह लेखक उसका इस्तेमाल करता है। बल्कि वह समूचे कथा विन्यास में एक अन्तर्धारा या पार्श्व संगीत की तरह अन्तर्निहित रहता है। मानव मन की जटिल व्यवस्था हो या अमानवीय सामाजिक परिस्थितियाँ, विष्णु प्रभाकर उस मनुष्य की चिन्ता करते हैं और उसके साथ खड़े होते हैं जिसे सताया जा रहा है और फिर भी जो एक निरन्तर मुक्ति संग्राम में जुटा रहता है।SKU: VPG9352293018 -
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Aina Muaina
आइना-मुआइना –
मुंडे जी बात-बात में बड़ी बात कह जाते हैं। यह उनका स्टाइल भी है और ख़ूबी भी। शायद, अच्छा शायर ऐसे ही शायर को कहा जाता है। वे सिर्फ़ शायरी में ही नहीं, बल्कि आम ज़िन्दगी में भी एक ख़ास रख-रखाव के क़ायल हैं। उनका यह स्वभाव, यह मिजाज़ यक़ीनन इस मिट्टी की देन है जिसे हम महाराष्ट्र की मिट्टी कहते हैं, महाराष्ट्र की सरज़मीन को सलाम कि जहाँ से इतना अच्छा इन्सान और इतना अच्छा शायर उभर कर भारत की शान बढ़ा रहा है। एक ज़िम्मेदार सरकारी अफ़सर होने की वजह से, माणिक मुंडे साहब की एक मज़बूरी यह भी है, कि वो ग़ैर-ज़िम्मेदाराना बयान नहीं दे सकते। उनके मिजाज़ की सच्चाई जगह-जगह उनकी कविताओं में देखने को मिलती है। उनकी शायरी ग़ालिब की तरह ज़रा मुश्किल तो है, मगर थोड़ी-सी कोशिश के बाद जो मोती हाथ आते हैं, वो वाकयातन नायाब होते हैं। और मेहनत वसूल जाती है।एक तरफ़ दिल की धड़कनें सुनाई देती हैं, वहीं दूसरी तरफ़ आनेवाले युग की समस्याएँ और दिशाएँ भी नज़र आती हैं। उनका दिमाग़ एक फ़िलॉसोफ़र का दिमाग़ है। शायद इसीलिए वो बड़ी-बड़ी बातें चन्द लफ़्ज़ों में और दिल को छू लेनेवाले अन्दाज़ में कामयाबी से कह जाते हैं। शायरी पर उनकी इस तरह मज़बूत गिरफ़्त से, अन्दाज़ा होता है कि उन्होंने इस फ़न पर क़ाबू पाने के लिए बड़ी मेहनत की है। और कहा जाता है कि मेहनत कभी जाया नहीं जाती।
-(उबैद आज़म आज़मी)माँगू तो में क्यों माँगें ?
माँगू भी तो क्यों माँगू ?
माँगने से कुछ न मिले
परम सत्ता पे ज़ोर न चले
तुझे जो करना है तू कर तेरी मर्जी आयाचन छोड़ दिया है मैंने
तू दे या मुक़र तेरी मर्जीहम बेहोश थे जब हमको यहाँ बुलाया पता नहीं जनमघूँटी में क्या पिलाया तेरी दुनिया मुझे मेरी लगने लगी है
चौर्य की अभिलाषा अन्दर जगने लगी है
छीन लेना है, तू वश कर तेरी मर्जी
तोहफ़ा देना है, तू पेश कर तेरी मर्जीसंसार को तूने यूँ बिखेर दिया है
कब्ज़ा ज़माने का लालच इसी कारण हुआ है
क्या नश्वर अक्षर पे हुकूमत कर पायेगा?
मछुआ अपने जाल में सागर को धर पायेगा?
सँवारना है, तू ओज से भर दे तेरी मर्जी
तू बिगाड़ना है, तू क्षीण कर दे तेरी मर्जी
(तेरी मर्जी)SKU: VPG8181439437 -
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Alif Laila
अलिफ़ लैला –
अलिफ़ लैला एक ऐसी नवयुवती की कहानी है, जिसने एक जालिम बादशाह से विवाह करने के बाद न केवल उसका हृदय परिवर्तित कर दिया, अपितु अनेक नवयुवतियों का जीवन भी बचा लिया।
उस युवती की प्रत्येक रात अमावस्या की रात बनकर आती थी और प्रत्येक सबेरा उसे कुछ साँसों का अवकाश देकर चला जाता था, किन्तु उस ज़ालिम बादशाह के साथ विवाह करने के बाद उस युवती जे नवजीवन प्राप्त किया।
किस प्रकार वह युवती बादशाह को प्रत्येक रात एक नयी कहानी सुनाकर अपने जीवन को बचा लिया करती थी और किस प्रकार उसने अपने देश की अनेक युवतियों को जीवन-दान दिया। प्रस्तुत पुस्तक में उन्हीं रोचक एवं बुद्धिमत्तापूर्ण कहानियों को संगृहीत किया गया है।
हमें आशा ही नहीं, अपितु पूर्ण विश्वास है कि हिन्दी के पाठक इस पुस्तक को पढ़कर अवश्य लाभान्वित होंगे।SKU: VPG9350729502 -
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Anama
तुमने ठीक कहा कि बनारस किसी नये व्यक्ति के लिए एक कैलाइडोस्कोप है। यह आप पर धीरे-धीरे खुलता है। बनारस को वन गो में नहीं महसूस किया जा सकता। यहाँ के जीवन का सुरताल देर से समझ आता है। तुम सच थीं, वाराणसी एक जादुई शहर है, जिसमें मैंने मृत्यु और जीवन को उसके सूक्ष्मतम और विरोधाभासी रूप में देखा है। प्रकाश और अन्धकार का शहर, भगवा चोलों और रंगीन साड़ियों का शहर, नगाड़ों और अजानों का शहर, ऊँची उड़ती पतंगों का और सड़क पर लेटी भैंसों का शहर, रिक्शों की घंटियों और सितार की तान का शहर, उबलती चाय और गरम जलेबियों का शहर, इस शहर से लगाव कर पाने में मुझे वक्त लगा, क्योंकि एक सच्चा लगाव, बहुत से गुस्से, खीज, निराशा-हताशा के पलों से लड़ने, उबरने के बाद ही जन्मता है, यह शहर अब भी चुनौती है। फिर भी यह सच है कि यहाँ आकर लगा नलिनी कि क्षणभंगुरता क्या है और जीवन का सार दरअसल क्या है? मुझे हैरानी हुई जीवन को तो यहाँ के लोग फूंक पर रखते ही हैं, हर समय उत्सव के नशे में रहते हैं, जेब में कानी कौड़ी भी न हो तब भी! मगर मृत्यु को भी यहाँ कितने हलके से लेते हैं लोग…जैसे मृत्यु भी एक उत्सव हो। मैंने माँ की उत्सवधर्मी स्मृतियों को सहेज लिया और ग्लानि का तर्पण कर दिया है। (‘अनामा’ कहानी से)
SKU: VPG9350726549