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गोलू मोलू Golu Molu (Baal Kavita Sangraha)


गोलू मोलू! शीर्षक से ही स्पष्ट है कि किरण जी बच्चों की मनोविज्ञान को कुशल परखी हैं। उन्हें बखूबी पता है कि बच्चों की दिलचस्पी किन चीजों में है। प्रकृति और मौसम उनके भीतर कौतूहत जगाते हैं। पशु-पक्षी की हरकतें उन्हें आनंदित करती हैं। आधुनिक खेल-खिलौनों व मोबाइल में भी उनकी गहरी अभिरूचि है। संचार माध्यमों से वे देश-दुनिया की जानकारी रखते हैं। बाल साहित्य-साधना को मैं ईश्वरीय आराधना मानता है, क्योंकि बच्चे परमात्मा की प्रतिमूर्ति होते हैं और उन्हें आनंदित करने की सर्जनात्मक कोशिश से सच्चे सुख को अनुभूति होती है। बाल साहित्य का पहला और जरूरी मकसद भी तो यही है- नन्हें-मुन्नों को आनंदित करना। मौजूदा दौर के बच्चे जब कई तरह से दबाव और तनाव झेल रहे हैं, हर जिम्मेदार रचनाकार का दायित्व है कि वह शिशुओं बालकों किशोरों के लिए भी जरूरी सृजन करे। ऐसा साहित्य-सृजन, जो उनके अधरों पर हंसी ला सके और खेल-खेल में ही कोई जीवनोपयोगी संदेश भी (उपदेश नहीं) दे दे। एक दिन संवेदनशील रचनाकार श्रीमती किरण सिंह से इसी मुद्दे पर बात हो रही थी। किरण जी की रचनाशीलता के कई आयाम हैं। कहानी लघुकथा, कविता, गीत, गजल, दोह, कुण्डलियाँ, व्यंग्य, समालोचना आदि कई हलकों में उनकी पैठ है तथा बहुआयामी रचनाएँ चर्चा में भी रही हैं। जब बालकों व बाल साहित्य पर विमर्श हो रहा था, तो वह गौर से सुन रही थीं। बात वहाँ आई-गई हो गई। मगर सुखद आश्चर्य तब हुआ, जब उन्होंने एक बालकविता संग्रह की पाण्डुलिपि मेरे सामने रख दो। मैं तो दंग रह गया— बच्चों के प्रति उनके समर्पण और उनको कविताओं को देखकरा उन्होंने बताया कि पिछले दिनों वह सचमुच अपने बचपन में लौट गई थीं और अपने बच्चों के बचपन को जीते हुए इन कविताओं की सर्जना की है।

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गोलू मोलू! शीर्षक से ही स्पष्ट है कि किरण जी बच्चों की मनोविज्ञान को कुशल परखी हैं। उन्हें बखूबी पता है कि बच्चों की दिलचस्पी किन चीजों में है। प्रकृति और मौसम उनके भीतर कौतूहत जगाते हैं। पशु-पक्षी की हरकतें उन्हें आनंदित करती हैं। आधुनिक खेल-खिलौनों व मोबाइल में भी उनकी गहरी अभिरूचि है। संचार माध्यमों से वे देश-दुनिया की जानकारी रखते हैं।

Binding

Paperback

ISBN

9788194816683

Language

Hindi ( हिंदी )

Pages

47

Publisher

Janaki Prakashan ( जानकी प्रकाशन )

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