Atharva-veda is a term that means “the Veda of the Atharvan” or “the Knowledge of Magic Formulas”. Atharva-veda Samhita is a valuable source of information on popular belief, which has not been influenced by the ancient Indian priestly religion. It also contains the knowledge of many spirits, ghosts, demons, and witchcraft. This is a vital resource for ethnology and the history of religion. First, the work contains critical notes on the text. Second, the readings of Paippalada, Kashmere, give the various readings. Third, the report of all the Vedic texts corresponding to each verse, including the data of the Hindu Schooliast with respect to authorship, divinity, and metre. Finally, there are extracts from the printed commentary, and lastly a literal translation with introductions and indices.
ATHARVA-VEDA-SAMHITA (2 Vols.)
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मीराँ के दहकते हुए जीवन में से मलयानिल की तरह कविता आती है? क्या यह प्रतिवाद, प्रतिरोध की कविता है? क्या कोई कविता इस तरह सामाजिक बदलाव के लिए सार्थक, प्रासंगिक हो सकती है? मीराँ की कविता वास्तव में यहीं ‘कवि-कर्म’ की सबसे जटिल चुनौती उपस्थित करती है। वे क्रूरतम सामन्ती-समाज की यातनाएँ सहती हैं और उसी आविभाज्य जीवन में से विक्षोभ रहित पद रचती हैं और तब भी हम यह भूलते नहीं हैं कि क्लेशों के अग्नि-कुण्ड में वे बैठी हैं। उनकी कविता इस तरह एक भिन्न संघर्ष-अनुभव, यातना-बोध की कविता हो जाती है। प्रायः हम जीवन की रोशनी में कविता की व्याख्या करते हैं लेकिन मीराँ की कविता इस अर्थ में महत्वपूर्ण है कि उससे जीवन भी व्याख्यायित होता है। मीराँ की कविता उनके निष्कलुष, निर्भीक, निष्कपट, मन को समाज के साथ रखती है और उनकी भाषा शुद्धतावादी आभिजात्य के दर्प को तोड़ती है।SKU: VPG9352294282₹221.00₹295.00 -
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