बुद्ध के बढ़ते क़दम –
शैलेन्द्र प्रताप सिंह द्वारा रचित यह पुस्तक इस अर्थ में महत्वपूर्ण है कि इसमें जल की भाँति भाषा में बौद्धदर्शन व बौद्धधर्म के विषय में चर्चा की गयी है। गहरे अर्थ में इसे देखा जाये तो यह एक तरह का परिचयात्मक लेखन है जो बुद्ध के प्रति मान्यता रखने वालों के लिए उपयोगी हो सकती है। बुद्ध के सिद्धान्तों को लेकर भी इस पुस्तक के लेखक ने अनावश्यक शब्द भ्रम से दूर रहने का प्रयत्न किया है। यहाँ इस बात का उल्लेख करना भी आवश्यक है कि कुल बाईस अध्यायों में विभक्त इस पुस्तक में शायद पहली बार बौद्धधर्म की ऐतिहासिक निरन्तरता का प्रमाण मिलता है।
यह पुस्तक अनिवार्य रूप से बौद्ध मतों को मानने वाले के लिए एक सुन्दर उपहार है जिसे वे अपनी आस्था से जोड़कर पढ़ सकते हैं।
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