Assamese Novel
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Assamese Novel
Dhalan Ki Vela
ढलान की वेला –
असमिया साहित्य-लोक में बहुमुखी प्रतिभा के धनी कथाकार एवं नाटककार भवेन्द्रनाथ शइकीया के इस संग्रह में उनकी सात लम्बी कहानियाँ संकलित हैं। इन कहानियों में मुख्यतः निम्न-मध्य वर्ग की दशा का चित्रण है। कथानक की भाषा भी पूरी तरह जन-साधारण की— कहीं कोई बनावट नहीं, कहीं कोई लाग-लपेट नहीं और न ही किसी तरह के शब्दाडम्बर का घटाटोप।
शइकीया जी की भावचेतना और कलात्मक संरचना से हिन्दी के सुविज्ञ एवं सहृदय पाठकों को निकटता से परिचय कराने की दिशा में इस संग्रह ने निश्चित ही अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभायी है।SKU: VPG8126304030 -
Assamese Novel
Lal Nadee
लाल नदी –
भारतीय ज्ञानपीठ से पुरस्कृत असमिया की बहुचर्चित लेखिका इन्दिरा गोस्वामी की रचनाओं में जैसे पूरा असम क्षेत्र धड़कता हुआ महसूस होता है। उनमें असम का सांस्कृतिक और सामाजिक इतिहास नज़र आता है। इन्दिरा जी की रचनाओं, विशेषकर कहानियों में चित्रित असमी जीवन के विविध परिदृश्यों से गुज़रते हुए हमें लगता है कि जैसे हम ख़ुद वहाँ की यात्रा पर निकल पड़े हों।
‘लाल नदी’ की कहानियाँ आम असमी जनता के दुःख-दर्द, आशा-आकांक्षा, राग-विराग, संघात संघर्ष को उजागर करने के साथ ही हमारे मानस लोक में एक ऐसे समाज का प्रतिबिम्ब रच देती हैं, जिनके बारे में हमारी जानकारी बहुत सीमित है। इन्दिरा जी सिर्फ़ कहानी नहीं लिखतीं, वे समाज का अन्तरंग विश्लेषण भी प्रस्तुत कर देती हैं। इसलिए उनकी कहानियाँ पढ़कर पाठक केवल मुग्ध ही नहीं होता बल्कि उद्वेलित भी होता है। वे पाठकों को किसी जादुई यथार्थ में नहीं ले जातीं बल्कि सच्चाई के रूबरू खड़ा कर देती हैं।
इन्दिरा गोस्वामी की कहानियाँ सिर्फ़ कथ्य की दृष्टि से ही नहीं, अभिव्यक्ति क्षमता में भी अपना सानी नहीं रखतीं। कथा को वे धीरे-धीरे मन्द आँच पर पकाती हुई निष्पत्ति पर पहुँचाती हैं, जिनका आस्वाद देर तक बना रहता है। अधिकांश कहानियाँ उनकी क्लासिकल शैली का निदर्शन हैं। प्रस्तुत संग्रह की कहानियों का चयन स्वयं इन्दिरा जी ने किया है। निश्चय ही उनकी दृष्टि से तो ये उत्कृष्ट हैं ही, पाठकों की राय भी इसमें शामिल है, जिसे लेखक से ज़्यादा कौन जानता है?SKU: VPG8126313188 -
Assamese Novel
Mrityunjaya (Birendra Kumar Bhattacharya)
मृत्युंजय –
1942 के स्वाधीनता आन्दोलन में असम की भूमिका पर लिखी गयी एक श्रेष्ठ एवं सशक्त साहित्यिक कृति है ‘मृत्युंजय’। असम क्षेत्रीय घटनाचक्र और इससे जुड़े हुए अन्य सभी सामाजिक परिवेश इस रचना को प्राणवत्ता देते हैं। इसके चरित्र समाज के उन स्तरों के हैं जो जीवन की वास्तविकता के वीभत्स रूप को दासता के बन्धनों में बँधे-बँधे देखते, भोगते आये हैं। और अब प्राणपन से संघर्ष करने तथा समाज की भीतरी-बाहरी उन सभी विकृत मान्यताओं को निःशेष कर देने के लिए कृतसंकल्प दीखते हैं।
उपन्यास में विद्रोही जनता का मानस और उसके विभिन्न ऊहापोहों का सजीव चित्रण है। विद्रोह की एक समूची योजना और निर्वाह, आन्दोलनकारियों के अन्तर-बाह्य संघर्ष, मानव-स्वभाव के विभिन्न रूप, और इन सबके बीच नारी-मन की कोमल भावनाओं को जो सहज, कलात्मक अभिव्यक्ति मिली है वह मार्मिक है। कितनी सहजता से गोसाईं जैसे चिर-अहिंसावादी भी हिंसा एवं रक्तपात की अवांछित नीति को देशहित के लिए दुर्निवार मानकर उसे स्वीकारते हुए अपने आपको होम देते हैं और फिर परिणाम? स्वातन्त्र्योत्तर काल के अनवरत, उलझे हुए प्रश्न?…
भारतीय ज्ञानपीठ को हर्ष है कि उसे असमिया की इस कृति पर लेखक को ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित करने का गौरव मिला।SKU: VPG9326352246