Cinema Books
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Aadmi
आदमी –
आदमी हिन्दी अनुवाद है उस प्रलयात्मक जर्मन नाटक का जिसके कथानक में, पात्रों में, संवादों में, दृश्यों में जीवन के कम्पनों की गड़गड़ाहट सुनाई देती है। बन्दीघर में तेज़ चढ़ते हुए बुखार की अवस्था में लेखक ने यह नाटक लिखना आरम्भ किया और उस समय समाप्त किया जब क़लम उसकी जलती हुई शक्तिहीन उँगलियों से छूट कर गिर पड़ी।
यह नाटक साधारण से साधारण पाठक के मन व मस्तिष्क को उच्च से उच्च और गम्भीर से गम्भीर बना देता है। साधारण व्यक्ति को उच्चतम साहित्य से आनन्दित और प्रभावित अवसर प्रदान करता है। इस नाटक में शक्ति और गुण हैं ……SKU: VPG8170555520 -
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Aaj Ki Pukar
आज की पुकार –
21 वीं शताब्दी अपनी अनेक असाधारण विशेषताओं की गुणवत्ता लिए हुए है। विज्ञान की अभूतपूर्व प्रगति, औद्योगिकी और प्राविधिक यन्त्रों को चकाचौंध कर देने वाले विकास मानव-संसार के उपयोगी साधन…। हम सब बख़ूबी इससे परिचित हैं और ख़ूब फायदा उठा रहे हैं। अक्सर जो चीज़ समक्ष नहीं होती, यह कहूँ जो विगत अवधि में इतनी मुखर हो सामने नहीं आयी थी—वह है परिवर्तन की स्वचालित गति की स्वायत्तता, जो अपने अन्तर्निहित नियमों द्वारा परिचालित नहीं होती। मानव उसका संचालक अवश्य है किन्तु एक हद तक। तदुपरान्त परिवर्तन का संवेग उसकी इच्छा और संकल्प शक्ति पर नहीं अपितु स्वयं अपनी ऐच्छिकता से चलता जाता है। घटनाएँ घटती हैं इसलिए नहीं कि मानव उसे चाहता है, इसलिए भी नहीं कि उपयोगी और वांछनीय है, अपितु वे अपनी होने की परवशता में आबद्ध है। आकलन-प्राक्लन करती मेरी दृष्टि यह देखती है कि एक उपमहाद्वीप जो कभी वेदों के अथाह मन्त्रों से समस्त विश्व को आलोकित करता था, सृष्टि के रहस्य जिसके उपनिषदों के चिन्तन में प्रत्यक्ष हो उठते थे, जिसने सर्वदा विश्व को ज्ञान के आलोक से संपृक्त किया-आज एकाएक पतन की ओर रुख किये है। क्यों परिवर्तित हो गया है?आज अपने देश की सीमाएँ इतनी अधिक संवेदनशील, असन्तोषजनक, ध्वंसकारी हैं कि हिंसा, आतंक, शोषण-उत्पीड़न, ड्रग-सेवन, सामूहिक बलात्कार, अपहरण, ख़ून-खराबा आदि वैश्विक समस्याएँ बनी हुई हैं। ऐसे विषाक्त वातावरण में आचरण की निर्मलता पर बल देना किसी मन्दिर, मठ, गिरजाघर या चैत्यालय के उन उपदेशों जैसे लगते हैं, जिस पर उसका उपदेष्टा भी उसके अनुरूप पवित्र आचरण सम्भवतः न कर सके।
SKU: VPG9350727843 -
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Aaj Ki Pukar
आज की पुकार –
21 वीं शताब्दी अपनी अनेक असाधारण विशेषताओं की गुणवत्ता लिए हुए है। विज्ञान की अभूतपूर्व प्रगति, औद्योगिकी और प्राविधिक यन्त्रों को चकाचौंध कर देने वाले विकास मानव-संसार के उपयोगी साधन…। हम सब बख़ूबी इससे परिचित हैं और ख़ूब फायदा उठा रहे हैं। अक्सर जो चीज़ समक्ष नहीं होती, यह कहूँ जो विगत अवधि में इतनी मुखर हो सामने नहीं आयी थी—वह है परिवर्तन की स्वचालित गति की स्वायत्तता, जो अपने अन्तर्निहित नियमों द्वारा परिचालित नहीं होती। मानव उसका संचालक अवश्य है किन्तु एक हद तक। तदुपरान्त परिवर्तन का संवेग उसकी इच्छा और संकल्प शक्ति पर नहीं अपितु स्वयं अपनी ऐच्छिकता से चलता जाता है। घटनाएँ घटती हैं इसलिए नहीं कि मानव उसे चाहता है, इसलिए भी नहीं कि उपयोगी और वांछनीय है, अपितु वे अपनी होने की परवशता में आबद्ध है। आकलन-प्राक्लन करती मेरी दृष्टि यह देखती है कि एक उपमहाद्वीप जो कभी वेदों के अथाह मन्त्रों से समस्त विश्व को आलोकित करता था, सृष्टि के रहस्य जिसके उपनिषदों के चिन्तन में प्रत्यक्ष हो उठते थे, जिसने सर्वदा विश्व को ज्ञान के आलोक से संपृक्त किया-आज एकाएक पतन की ओर रुख किये है। क्यों परिवर्तित हो गया है?आज अपने देश की सीमाएँ इतनी अधिक संवेदनशील, असन्तोषजनक, ध्वंसकारी हैं कि हिंसा, आतंक, शोषण-उत्पीड़न, ड्रग-सेवन, सामूहिक बलात्कार, अपहरण, ख़ून-खराबा आदि वैश्विक समस्याएँ बनी हुई हैं। ऐसे विषाक्त वातावरण में आचरण की निर्मलता पर बल देना किसी मन्दिर, मठ, गिरजाघर या चैत्यालय के उन उपदेशों जैसे लगते हैं, जिस पर उसका उपदेष्टा भी उसके अनुरूप पवित्र आचरण सम्भवतः न कर सके।
SKU: VPG9350727997 -
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Agrabatti
A riveting tale of caste, gender, class and conflict and politics, Agarbatti is based on the Behmai massacre committed by Bandit Queen Phoolan Devi and her gang to avenge her gangrape by the upper-caste Thakur men of Behmai. In order to rehabilitate the widows of the massacred Thakurs, the government opens an incense stick factory in the village. One of the widows, Lala Ram Thakurain, reserves the last rites of her husband until Phoolan Devi has been executed. The story begins after Phoolan’s death and explores its implications and consequences on a series and spectrum of events.
SKU: VPG9389915129 -
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Alakh Azadi Ki
अलख आज़ादी की –
सोने की चिड़िया है भारत,
क़िस्सा ये मशहूर है।
सारी दुनिया के पर
जैसे ये सिन्दूर था
प्राचीन काल से ही भारत अपने ज्ञान अध्यात्म धन-वैभव दिया, कला, कौशल में अद्वितीय रहा। सैकड़ों- हज़ारों वर्षों तक न केवल यूरोप बल्कि संसार की सभी मंडियों और बाज़ारों में भारत का ही माल आकर्षण का केन्द्र हुआ करता था, यह सम्पन्नता ही विदेशी हमलावरों की यहाँ बार बार हमला करने के लिए प्रेरित करती रही। अधिकतर हमलावर या तो लूट-पाट करके वापस लौट गये या यहीं की संस्कृति में रच-बस गये किन्तु योरोपियस का चरित्र कुछ दूसरे ही किस्म का था। वे यहाँ व्यापारी बनकर आये और फिर राज सत्ता हथियाने के षड़यन्त्रों में लग गये….पहले व्यापार की अनुमति, फिर कोठी..कोठी से किला फ़ौजें और कबजा, डच, पूर्तगाली, फ्रांसीसी सभी का उद्देश्य यही था लेकिन अंग्रेज़ सबके उस्ताद निकले।सोलहवीं सदी की शुरुआत के साथ हिन्दुस्तान के साथ तिजारत बढ़ जाने के कारण पूर्तगाल की राजधानी लीबस्न का महत्व और उसकी शान योरोप में दिनोंदिन बढ़ती जा रही थी। इंगलिस्तान के रहनेवालों को इससे ईर्ष्या होना स्वाभाविक था ।इंगलिस्तान में भी उस समय ब्रिस्टल का बन्दरगाह तिजारत का बड़ा केन्द्र था। यह अलग बात है कि ब्रिस्टल के नाविक अनेक पुस्तों से बड़े मशहूर समुद्री डाकू गिने जाते थे। उन दिनों योरोपियन कौम के लोग एक-दूसरे के माल से लदे जहाज़ों को लूट लेना जायज़ व्यापार समझते थे। इसी लूटपाट के ज़रिये अंग्रेज़ों को भारत के उस समय के जल मार्ग का पता चला था।
सुशील कुमार सिंह का नवीनतम नाटक ‘अलख आज़ादी की’ मात्र एक रंगमंचीय नाटक ही नहीं है बल्कि यह हिन्दुस्तान के विगत चार सौ सालों का बेबाक लेखा-जोखा भी है।
अलख आज़ादी की : रंगमंच के माध्यम से इतिहास सन् 1608 में पहला अंग्रेज़ी जहाज़, हिन्दुस्तान पहुँचा। इस जहाज़ का नाम ‘हेक्टर’ था। ‘हेक्टर’ प्राचीन यूनान के एक योद्धा का नाम था, जिसका अंग्रेज़ी में अर्थ है ‘अकड़बाज’ या ‘झगड़ालू’ ।
….जहाज़ का कप्तान हाकिन्स पहला अंग्रेज़ था जिसने समुद्र के रास्ते आकर भारत की भूमि पर क़दम रखा था। …जहाज़ सूरत के बन्दरगाह में आकर लगा उस समय भारतीय व्यापार का एक प्रमुख केन्द्र था।यही वह समय था जब भारत में मुग़ल सम्राट जहाँगीर का शासन था; कप्तान हाकिन्स ने आगरा में मुगल सम्राट से भेंट की।
जहाँगीर ने अंग्रेज़ों को न केवल व्यापार करने, कोठियाँ बनाने और मुग़ल दरबार में ‘एलची’ रखने की इजाज़त दी बल्कि यह भी इजाज़त दी कि वह अपनी बस्तियों में अपने क़ानून के मुताबिक अपने मुलाज़िमों को सज़ा भी दे सकते हैं।
…इस छोटी-सी घटना और बाद में सन् 1857 की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए अंग्रेज़ इतिहास लेखक ‘टाटेन्स’ अपनी पुस्तक ‘इम्पायर इन एशिया में लिखता है “बादशाह न्यायशील और बुद्धिमान था। उसने उनकी आवश्यकताओं को समझते हुए जो उन्होंने माँगा उसने मंजूर कर लिया। उसे यह स्वप्न में भी नज़र नहीं आ सकता था कि एक दिन अंग्रेज़ इस छोटी सी जड़ से बढ़ते-बढ़ते बादशाह की प्रजा और उसके उत्तराधिकारियों तक को दण्ड देने का दावा करने लगेंगे…और यदि उनका विरोध किया जायेगा तो प्रजा का संहार कर डालेंगे तथा बादशाह के उत्तराधिकारी को बागी कह कर आजीवन क़ैद कर लेंगे।” रंगमंच के माध्यम से इतिहास को एक अलग दृष्टि से जानने-समझने अनूठा प्रयोग भी है ‘अलख आज़ादी की’।SKU: VPG8170556329 -
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Ambedkar Aur Gandhi
गाँधी व अम्बेडकर के जीवन दर्शन के कई पक्ष अभी भी अछूते हैं, उन्हें बेहिचक लाने की ज़रूरत है। -मुद्राराक्षस इस सम्पूर्ण नाटक में गाँधी एक राजनीतिक व्यक्ति के बजाय अछूत समस्या का समाधान एक सन्त या महात्मा की तरह करते हुए दिखाई पड़ते हैं जब कि अम्बेडकर इस प्रश्न को धार देकर अपने संघर्ष को देश की आज़ादी के बजाय दलित मुक्ति की ओर ज़ोरदार ढंग से मोड़ देते हैं। -सुधीर विद्यार्थी, हंस रंगमंच पर इतिहास के दो बड़े नायकों को ज्वलन्त सामाजिक सवालों पर संवाद करते, समस्याओं से भरे इतिहास के उस जटिल दौर में आगे की राह तलाशते तथा वैचारिक रूप से गुत्थम-गुत्था होते देखना एक नया अनुभव है। -कौशल किशोर
SKU: VPG9352294510 -
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Anand Raghunandan
आनन्द रघुनन्दन –
1830 ई. के पूर्व या उसके आसपास विश्वनाथ सिंह ने हिन्दी में आनन्द रघुनन्दन नाटक की रचना की थी, जब वे युवराज थे। इसके रचनाकाल का उल्लेख नाटककार ने कहीं नहीं किया है।
संस्कृत का आनन्द-रघुनन्दन-नाटकम् हिन्दी में विरचित आनन्द रघुनन्दन नाटक का अनुवाद नहीं है। किन्तु दोनों की कथावस्तु एक ही है। अंकों और दृश्यों में एकरूपता है, समानता है। संवादों में भी यत्र-तत्र समानता है। हिन्दी के संवादों में यत्र-तत्र फ़ारसी, मराठी, अरबी, बांग्ला, भोजपुरी, मारवाड़ी और अंग्रेज़ी भाषाओं के भी प्रयोग मिलते हैं। किन्तु इसके संस्कृत रूप में मात्र संस्कृत भाषा ही है। प्राकृत भाषा के संवाद, गीतों की ताल-धुन तथा ‘प्रविशति’, ‘निष्क्रान्तः’ आदि रंगमंचीय निर्देश दोनों नाटकों में समान ही हैं। पूर्ववर्ती संस्कृत नाटकों की परम्परा में अद्भुत रस को विशेष प्रश्रय प्राप्त हुआ है। आनन्दरघुनन्दन नाटकम् भी इस तथ्य की पुनरावृत्ति करता है।SKU: VPG9326352123 -
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Andora
अंडोरा –
स्विस नाटककार माक्स फ्रिश का नाटक ‘अंडोरा’ बीसवीं सदी के अन्तिम पचास वर्ष के यूरोपीय नाट्य साहित्य की महान् और मर्मस्पर्शी कृतियों में से एक है। आज लेखक की मृत्यु के सात वर्षों बाद इस नाटक का हिन्दी अनुवाद नयी दिल्ली में प्रकाशित हो रहा है, यह बात उस लेखक की अटूट जीवन्तता और विश्वसनीयता को सिद्ध करती है जिसने अपने जीवन काल में ही अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर ली थी। लेकिन भारत में फ्रिश हाशिये पर ही रहे। यहाँ पर ‘अंडोरा’ की अपेक्षा फ्रिश का आरम्भिक नाटक ‘हेअर बीडरमान उंट ब्रांडश्टिफ्टर’ अधिक प्रसिद्ध हुआ है। इसका कई भाषाओं में मंचन किया गया है लेकिन पुस्तक रूप में प्रकाशन नहीं हो सका है। ‘बीडरमान’ स्पष्ट और सीधी-सादी कृति है, उसके चरित्र तराशे हुए से लगते हैं। इसके विपरीत ‘अंडोरा’ गूढ़ है, निराशावादी है। इसके चरित्र टूटे, उलझे और विरोधाभासों से भरे हैं। पूरा नाटक दुःख और व्यर्थता की एक गूँज से भरा हुआ है। मात्र कलकत्ता में ही उनके अन्तिम वर्षों के नाटक ‘बिओग्राफी’ का मंचन हुआ था। ‘अंडोरा’ के प्रस्तुत हिन्दी अनुवाद का पुस्तक के रूप में प्रकाशन प्रतिकार और साहित्यिक दृष्टि से न्यायसंगत है। महान् स्विस लेखक माक्स फ्रिश का विशाल हिन्दीभाषी जनसमूह से परिचय कराया जाना हर्ष का विषय है।SKU: VPG8170556282 -
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Ant Haazir Ho
अन्त हाज़िर हो –
कहीं-कहीं परिवार में कुछ रिश्ते मिथक बन गये हैं। ऐसे मिथकीय रिश्तों में पड़ी दरारों से हम कतराकर निकल जाते हैं। उन्हें ग़ैर-मौजूद घोषित करते रहते हैं। पर मिथक तो बहरहाल मिथक होते हैं, वास्तविकता नहीं। मीरा कान्त का नाटक ‘अन्त हाज़िर हो’ ऐसे ही कुछ पारिवारिक रिश्तों की दलदल में प्रवेश करता है। उन सीलबन्द रिश्तों की बखिया उधेड़ता है। उनकी सीवन को तार-तार करता है। परिवार के स्तर पर बलात्कार या व्यभिचार के मामले 21वीं सदी की खोज नहीं हैं। ये सदा से रहे हैं पर सचेत समाज के खुलेपन में उजागर अधिक हुए हैं, सार्वजनिक तौर पर।
यह नाटक जीवन की उन स्थितियों व घटनाओं को मंच पर लाता है जो छोटी उम्र से ही किसी बालिका का दुःस्वप्न बन जाती हैं। यह समाज का दुर्भाग्य है कि वह पारिवारिक व्यवस्था में घुन की तरह छिपी बैठी इन स्थितियों व मनस्थितियों को चावल में से कंकर की तरह निकाल बाहर करने की हिम्मत नहीं। रखता। इसके विपरीत इसे किसी कोने में धकेलकर ख़ुद बाहर आ जाता है, यह जताते हुए कि कहीं कुछ ग़लत नहीं।
यह नाटक पारिवारिक व्यभिचार या बलात्कार की कथा नहीं, रिश्तों में ग़ैर-ईमानदारी की कथा है। विश्वासघात की कहानी है— पत्नी के साथ, बेटी के साथ और रिश्तों की मर्यादा के साथ समाज की संरचना मर्यादा की जिन ईंटों से हुई है, उन ईंटों के साथ।
‘अन्त हाज़िर हो’ उन स्थितियों का नाटक है जब घर सुरक्षित चहारदीवारी का प्रतीक न होकर ख़तरा बन जाता है। जब घर में भी घात लगी हो और वह घातक बन जाये। यह घरेलू हिंसा और बलात्कार से कहीं आगे जाकर मानवता की टूटती साँसों का नाटक है।SKU: VPG8126340996 -
Cinema Books
Baby
तेंडुलकर द्वारा लिखित यह नाटक मन को ही नहीं आत्मा को भी झकझोर देता है। तेंडुलकर किसी भी विषय की गहराई में इतना डूबकर लिखते हैं कि दर्शक मौन हो जाता है। यह कहानी बेबी या उसके भाई राघव की नहीं वरन् समाज में बेसहारा, लाचार और शोषितों की कहानी है। जो अपना सर्वस्व लुटाकर भी गाली, उपेक्षा और तिरस्कार के हकदार होते हैं और इस त्रासदी को वो समाज की क्रूरता नहीं वरन् अपने भाग्य का दोष मानते हैं और यह भाग्य मनुष्य को उस बिन्दु पर ले आता है जहाँ मनुष्य स्वआलोचक, स्वनिन्दक बन जाता है और पहले से अधिक झुकने के लिए तैयार हो जाता है
SKU: VPG9387330962 -
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Baby
तेंडुलकर द्वारा लिखित यह नाटक मन को ही नहीं आत्मा को भी झकझोर देता है। तेंडुलकर किसी भी विषय की गहराई में इतना डूबकर लिखते हैं कि दर्शक मौन हो जाता है। यह कहानी बेबी या उसके भाई राघव की नहीं वरन् समाज में बेसहारा, लाचार और शोषितों की कहानी है। जो अपना सर्वस्व लुटाकर भी गाली, उपेक्षा और तिरस्कार के हकदार होते हैं और इस त्रासदी को वो समाज की क्रूरता नहीं वरन् अपने भाग्य का दोष मानते हैं और यह भाग्य मनुष्य को उस बिन्दु पर ले आता है जहाँ मनुष्य स्वआलोचक, स्वनिन्दक बन जाता है और पहले से अधिक झुकने के लिए तैयार हो जाता है
SKU: VPG9387409149 -
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Barking Dog & Paying Guest
महानगर में एक शान्त बगीचा और उसमें एकान्त खोजता पीटर, लेकिन पीटर कहाँ जानता था कि अपनी तमाम प्रश्नोत्तरी लिए उत्कर्ष वहीं आ जायेगा। उत्कर्ष का वाचिक अतिक्रमण पीटर को बार-बार अपने गृहकलेश की स्मृति में ले जाता है। यह संवाद दोनों की प्रतिष्ठा का सबब बन जाता है और नाटक को एक अप्रत्याशित अंजाम देता है।
तलाक़शुदा शोभना अपने फ़्लैट में अकेली रहती है। वर्षा बतौर पेइंग गेस्ट शोभना के यहाँ रहती है। दोनों में घनिष्ठता हो जाती है। शोभना से प्रभावित वर्षा शोभना के पूर्व पति अंकुश से पूर्वाग्रहित है और यही पूर्वाग्रह अंकुश से पहली ही मुलाक़ात में सम्मोहन में बदल जाता है। पेइंग गेस्ट ऐसी ही खिन्नता, अवसरवाद और सम्बन्धों के बिखराव को दर्शाता है।SKU: VPG9387409903