Jeevan Katha
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Jeevan Katha
Aadi Shankaracharya
आदि शंकराचार्य –
भारत अपनी सभ्यता और संस्कृति के कारण विश्व गुरु रहा है। यहाँ पर कई मत एवं सम्प्रदायों का उदय हुआ और उन्होंने हमारी सभ्यता को पुष्ट किया। जब भी इस सभ्यता, संस्कृति या धर्म में कुरीतियों ने जन्म लिया और साधारण मानव उनमें उलझने लगा, तो किसी न किसी महापुरुष का उदय हुआ। जैसा भगवान श्रीकृष्ण ने गीता में कहा है—’जब-जब इस धरा पर धर्म की हानि या कुरीतियों का प्रसार होगा तब-तब कोई न कोई महापुरुष हमारा मार्गदर्शन करने अवश्य आयेगा।’ ताकि हमारी यह अनूठी सभ्यता और संस्कृति अक्षुण्ण बनी रहे और हम उसका अनुकरण कर अपना जीवन सफल करते रहें।
आदि शंकराचार्य उन महापुरुषों में से एक हैं, जिन्होंने हमारा मार्गदर्शन किया। धर्म और संस्कृति से कुरीतियों को बाहर किया। मानव को मानव बनने की शिक्षा दी।SKU: VPG9326355421 -
Jeevan Katha
Aganisagar se Amrit
अग्निसागर से अमृत –
मलयालम भाषा के जनक माने जानेवाले सोलहवीं शती के कविवर तुंचत्तु एषुत्तच्छन के जीवन वृत्त और सृजन वैभव को केन्द्र बनाकर विरचित औपन्यासिक कृति है यह।
तत्कालीन समाज, जन-जीवन, इतिहास और संस्कृति के सूक्ष्म एवं गहन अनुसन्धानपरक अध्ययन, मनन, चिन्तन और मन्थन के परिणामस्वरूप यह अमृतोपम साहित्यिक उपलब्धि हासिल हुई है। विशिष्ट संवेदना और अनोखी शिल्प-संरचना से अभिमण्डित यह कृति मात्र मलयालम साहित्य की ही नहीं बल्कि भारतीय साहित्य की भी अनूठी उपलब्धि है। केरल की संस्कृति के जल बिन्दु में भारतीय संस्कृति का महा-सागर ही इस कृति में प्रतिबिम्बित हो उठता है।SKU: VPG9326355896 -
Jeevan Katha
Bhagwan Mahaveer
भगवान महावीर –
भगवान महावीर बचपन से ही तेजस्वी थे। वे अहिंसा के प्रबल पक्षधर थे। उनमें सभी प्राणियों के प्रति बचपन से ही अत्यन्त दयाभाव था। अहिंसा का महत्त्व जैन धर्म एवं संसार के सभी धर्मों में व्याप्त है। तीर्थंकर महावीर ने पाँच महाव्रतों का पालन करने की शिक्षा दी, जिसमें ब्रह्मचर्य, सत्य, अपरिग्रह, यानि आवश्यकता से अधिक इकट्ठा न करना और अचौर्य यानि चोरी न करने की शिक्षाएँ शामिल हैं।
जैन धर्म के चौबीसवें तीर्थंकर भगवान महावीर की जीवन कथा को प्रभाकिरण जैन ने बहुत ही मनोयोग से लिखा है। यह पुस्तक भगवान महावीर के जीवन को बहुत ही सरल शब्दों में प्रस्तुत करती है।SKU: VPG9326355162 -
Jeevan Katha
Bhaktkavi Surdas
भक्तकवि सूरदास –
सूरदास का अष्टछाप के कवियों में सर्वप्रथम स्थान है। वे कृष्ण भक्ति शाखा के प्रतिनिधि एवं श्रेष्ठ कवि हैं। महाप्रभु वल्लभाचार्य ने उन्हें पुष्टिमार्ग में दीक्षित किया था। सूरदास ने कृष्ण की बाल लीलाओं का जो वर्णन किया है वह बेजोड़ है। न देख पाने के बावजूद भी उनके काव्य में वर्णित कृष्ण की लीलाओं और प्रकृति का सजीव वर्णन पाठकों को अचम्भित कर देता है।
लेखक ने बड़े मनोयोग से इस पुस्तक में सूरदास की जीवन कथा लिखी है। पुस्तक में उनकी रचनाओं का सहज व सरल शब्दों में विश्लेषण तो प्रस्तुत किया ही है, साथ ही उनके चुनिन्दा पदों को व्याख्या सहित संग्रहित भी किया है।
पुस्तक में सूरदास के चर्चित और बहुपठित पदों को पढ़ना पाठकों को अवश्य भायेगा। इस पुस्तक का स्वागत किया जाना चाहिए।SKU: VPG9326355247 -
Jeevan Katha
Chaitanya Mahaprabhu
चैतन्य महाप्रभु –
चैतन्य महाप्रभु भक्तिकाल के प्रमुख सन्तों में से एक हैं। इन्होंने वैष्णवों के गौड़ीय सम्प्रदाय की आधार शिला रखी। इन्होंने भजन गायकी की एक नयी शैली को जन्म दिया तथा राजनीतिक अस्थिरता के दिनों में हिन्दू-मुस्लिम एकता की सद्भावना को बल दिया और जात-पाँत, ऊँच-नीच की भावना को दूर करने की शिक्षा दी। विलुप्त होते वृन्दावन को फिर से बसाया और अपने जीवन का अन्तिम भाग वहीं व्यतीत किया।
चैतन्य को इनके अनुयायी कृष्ण का अवतार भी मानते रहे हैं। जब ये अपने पिता का श्राद्ध करने बिहार के गया नगर में गये, तब वहाँ इनकी मुलाक़ात ईश्वरपुरी नामक सन्त से हुई, उन्होंने चैतन्य महाप्रभु से ‘कृष्ण-कृष्ण’ रटने को कहा। तभी से इनका सारा जीवन बदल गया और ये हर समय भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति में लीन रहने लगे। भगवान श्रीकृष्ण के प्रति इनकी अनन्य निष्ठा व विश्वास के कारण इनके असंख्य अनुयायी हो गये। सर्वप्रथम नित्यानन्द प्रभु व अद्वैताचार्य महाराज इनके शिष्य बने। इन दोनों ने चैतन्य महाप्रभु के भक्ति आन्दोलन को तीव्र गति प्रदान की।
कृष्ण भक्त चैतन्य महाप्रभु के जीवन-कथा को लेखिका ने बहुत ही से विस्तार लिखा है।SKU: VPG9326355155 -
Jeevan Katha
Dr. Shyama Prasad Mukharji ( Jeevan Katha)
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी –
डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी प्रसिद्ध शिक्षाविद् के साथ एक कुशल राजनेता थे। जिन्होंने भारतीय राजनीति में एक सकारात्मक विपक्ष की भूमिका का निर्वाह किया। उनके मानवीय गुणों के ऐसे अनेक उदाहरण हमारे सामने परिलक्षित होते हैं जिनसे उनकी मानवीय संवेदना प्रकट होती है। वह बिना किसी भेदभाव के सभी के साथ एक मानव होने का दायित्व निर्वाह करते थे। चाहे वह देश में अकाल हो या साम्प्रदायिक हिंसा सभी आपदाओं में वह अपनी परवाह किये बिना हर कमज़ोर को मदद करने के लिए तत्पर रहते थे। देश भक्ति तो उनके जीवन का एक हिस्सा थी जिसके लिए वह हर समय तैयार रहते थे।
श्यामा प्रसाद जी ने देश की एकता और अखंडता के लिए निरन्तर कार्य किया। आज़ादी के पूर्व और आज़ादी के बाद भारतीय राजनीति में भी उन्होंने ऐसे तत्त्वों का विरोध किया जिन्होंने देश की एकता को कमज़ोर करने की कोशिश की। उनका जीवन युवा पीढ़ी के लिए एक आदर्श है।SKU: VPG9326355414 -
Jeevan Katha
Gautam Buddh ( Jeevan Gatha )
गौतम बुद्ध –
गौतम बुद्ध धर्मगुरु, उच्च कोटि के समाज सुधारक व महान दार्शनिक थे। वे बौद्ध धर्म के संस्थापक थे। उन्होंने अपने एक मात्र नवजात शिशु राहुल, पत्नी यशोधरा और राजपाट को त्यागकर मनुष्य को जन्म-मरण, सांसारिक दुखों से मुक्ति दिलाने के मार्ग की तलाश तथा सत्य ज्ञान की खोज में निकल पड़े। वर्षों की कठोर साधना के पश्चात बोध गया (बिहार) में बोधि वृक्ष के नीचे उन्हें ज्ञान की प्राप्ति हुई और वे बुद्ध कहलाये।
आज विश्वभर में क़रीब 180 करोड़ बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं और यह बौद्ध जनसंख्या विश्व की आबादी का 25 प्रतिशत हिस्सा है। चीन, जापान, वियतनाम, थाइलैंड, मंगोलिया, कंबोडिया, श्रीलंका, उत्तर कोरिया, दक्षिण कोरिया, म्यांमार, ताइवान, भूटान, हांगकांग, तिब्बत, सिंगापुर ये सब बौद्ध देश हैं। भारत,मलेशिया, नेपाल, इंडोनेशिया, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, ब्रूनेई आदि देशों में भी बौद्ध धर्म के अनुयायियों की संख्या अत्यधिक है।
गौतम बुद्ध विश्व शान्ति के प्रतीक हैं। लेखिका ने इस पुस्तक में बहुत ही सरल शब्दों में उनकी जीवन कथा लिखी है।SKU: VPG9326355186 -
Jeevan Katha
Guru Nanak Dev
गुरु नानक देव –
किसी राष्ट्र के निर्माण में महापुरुषों की भूमिका महत्त्वपूर्ण होती है। गुरुनानक देव इनमें से एक थे, जिन्होंने सिख धर्म की स्थापना की। यह पुस्तक गुरुनानक के बचपन से लेकर उनके देहावसान तक की यात्रा को बड़ी सरल और सटीक भाषा में अभिव्यक्त करती है। लेखक ने इस पुस्तक में गुरुनानक देव के जीवन की छोटी-छोटी घटनाओं को बारीक़ी से समझा है और उनके मानवीय चरित्र को बड़ी ख़ूबी के साथ उद्घाटित किया है।
गुरुनानक देव ने अपनी त्याग, तपस्या और ईश्वर भक्ति की जो परम्परा कायम की उससे लोग इतने प्रभावित हुए कि यह सबसे बड़ा पन्थ ही बन गया। इस विषय पर लेखक की शोधपूर्ण दृष्टि और बेबाक चरित्र चित्रण ने इस किताब को रोचक और पठनीय तो बनाया ही, उसके सारभूत अंशों की जानकारी देकर बच्चों तथा किशोरों के लिए अत्यन्त उपयोगी भी बना दिया है। लेखक की भाषा-शैली सहज और प्रवाहपूर्ण है, जिससे देश-विदेश के बच्चे इसे आसानी से समझ सकते हैं और गुरुनानक की जीवन-कथा को दिल में उतार सकते हैं।
निश्चित ही यह बच्चों के लिए अत्यन्त पठनीय और संग्रहणीय किताब है।SKU: VPG9326355070 -
Jeevan Katha
Kabeer ( Jeevan Katha )
कबीर –
कबीर महान सन्त थे, जिन्होंने अपनी वाणी से पूरे हिन्दी साहित्य को प्रभावित किया। उनके बारे में कई तरह की किंवदन्तियाँ हैं, जिनके आधार पर उनका जीवन परिचय लिखा और पढ़ा जाता है। लेखक ने कबीर की इस जीवन-कथा में उन सभी स्थितियों और परिस्थितियों का ज़िक्र किया है, जिनकी वजह से कबीर को कवि के साथ सन्त और महात्मा कहा गया।
कबीर उस समय पैदा हुए थे, जब यह देश धर्म की कट्टर जकड़बन्दी में था और जनता को कोई रास्ता नहीं मिल रहा था। उन्होंने सभी धर्मावलम्बियों को यह बताया कि मनुष्यता ही सबसे बड़ा धर्म है। लेखक ने, इसलिए कबीर के विचार पक्ष पर पर्याप्त सामग्री प्रस्तुत की है। कबीर के उन दोहों को भी इस पुस्तक में रखा गया है, जिनसे समाज को मार्गदर्शन मिलता है और इन्सान को जीवन की सच्चाई समझने में मदद मिलती है। उलटबाँसियों को पढ़कर यह तो लगता है कि वे ईश्वर के निर्गुण स्वरूप को मानते थे, मगर इसके पीछे उनकी यह मंशा छिपी हुई है कि लोग अन्धविश्वास, धार्मिक कट्टरता को छोड़कर ईश्वर की वास्तविक छवि को समझें और यह जानें कि
मोको कहाँ ढूँढ़े रे बन्दे मैं तो तेरे पास में।
कबीर के इस दर्शन ने इन्सान का आत्मविश्वास बढ़ाया है और ढकोसलों के पार जाकर आदमी के जीवन की असली मूरत दिखाई है।
कबीर समाज के कवि हैं, जीवन-धर्म के रचयिता हैं, यह किताब नयी पीढ़ी के मार्गदर्शन में निश्चित ही बहुत उपयोगी साबित होगी, ऐसा हमारा विश्वास है।SKU: VPG9326355285 -
Jeevan Katha
Khudiram Bose ( Jeevan Katha )
खुदीराम बोस –
देश की आज़ादी में अपने प्राणों की आहुति देने वाले खुदीराम बोस सबसे कम उम्र के क्रान्तिकारी थे। उन्होंने अपने छोटे से जीवन काल में वह कर दिखाया, जो सामान्य युवक के लिए कभी सम्भव नहीं होता। खुदीराम बोस अदम्य साहसी और अपार दृढ़ इच्छा शक्ति वाले युवक थे। उन्होंने अंग्रेज़ों के ख़िलाफ़ होने वाले आन्दोलन में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया और क्रान्तिकारी कार्यों में लिप्त रहे। उन्होंने बम बनाना और अस्त्र-शस्त्र चलाना सीखा फिर क्रान्तिकारी गतिविधियों में जंगल-जंगल भटकते रहे। लेखक ने इन सभी घटनाओं का सुरुचिपूर्ण ढंग से वर्णन किया है।
खुदीराम बोस के बारे में लिखते हुए लेखक ने इस बात का विशेष ध्यान रखा है कि भाषा बोधगम्य हो और उन सभी घटनाओं को स्थान मिले, जिनके कारण वे छोटी-सी उम्र में क्रान्तिकारी बने और जब वक़्त आया तो देश की ख़ातिर हँसते-हँसते फाँसी का फन्दा भी चूम लिया।
खुदीराम बोस युवा पीढ़ी के लिए एक प्रकाश-पुंज हैं, जो उनके जीवन लक्ष्य को आलोकित करता रहेगा।SKU: VPG9326355339 -
Jeevan Katha
Mahatma Gandhi ( Jeevan Katha )
महात्मा गाँधी –
मोहनदास करमचन्द गाँधी विश्व के ऐसे महान मार्गदर्शक प्रेरणा पुरुष और अग्रणी व्यक्तित्व रहे हैं जो हर प्रकार की तुलना से ऊपर हैं। उनके सत्य, अहिंसा जैसे सिद्धान्त सदैव ही मनुष्यता को मार्ग दिखाते रहेंगे। उनके लिए गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने महात्मा जैसी संज्ञा का प्रयोग किया और वे विश्वभर के लिए महात्मा बन गये। उन्होंने जीवन भर सादगी को अपनाया। अनेक सन्दर्भों में सत्याग्रह किया और विदेशी शासन को परास्त करने का पराक्रम किया। गाँधीजी की सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि उन्होंने देश को बिना किसी ख़ूनी संघर्ष के आज़ाद कराया और आज़ादी के बाद भी किसी सरकारी पद को स्वीकार नहीं किया अपितु अनेक प्रतिभावान अनुयायियों को जिनमें सरदार पटेल, पंडित नेहरू, जयप्रकाश नारायण आदि-आदि को आगे बढ़ाया तथा उनका मार्गदर्शन करते रहे। इस सन्दर्भ में गाँधीजी सदैव बेमिसाल बने रहे और आज भी करोड़ों देशवासियों के लिए प्रेरणापुंज के तौर पर मार्गदर्शन का काम कर रहे हैं।
इस पुस्तक में डॉ. प्रभाकिरण जैन ने गाँधीजी के विराट व्यक्तित्व को बड़ी सहज सरल भाषा में व्यक्त करके, नयी पीढ़ी के लिए गाँधीजी के सम्पूर्ण व्यक्तित्व को रेखांकित करने का महत्त्वपूर्ण कार्य किया है।SKU: VPG9326355124 -
Jeevan Katha
Mahatma Jyotiba Phule ( Jeevan Katha )
महात्मा ज्योतिबा फुले –
भारतीय समाज को वक़्त-बेवक़्त कुछ समाज सुधारक और मार्गदर्शक मिलते ही रहे हैं। महात्मा ज्योतिबा फुले उनमें से एक हैं, जिन्होंने दलित, पराश्रित, निराश्रित और दीनहीन समाज को शिक्षा, नैतिक संघर्ष और जागरूकता का पाठ पढ़ाया। लेखक ने महात्मा फुले की जीवन-कथा में उन ख़ास बिन्दुओं पर विचार किया है, जिसके कारण ज्योतिबा फुले जैसे साधारण आदमी को ‘महात्मा’ का पद प्राप्त हुआ।
अंग्रेज़ी शासन काल में निम्न समाज के लोगों को शिक्षा पाने का अधिकार ही नहीं था। पूरा महाराष्ट्र पेशवा साम्राज्य का दास बना हुआ था, जिस पर अछूतों, दलितों और उनकी महिलाओं की सामाजिक तथा आर्थिक स्थिति सबसे बुरी थी। महात्मा फुले ने अपने बलबूते पर पहले महिलाओं को शिक्षित करने का उपक्रम शुरू किया। फिर धीरे-धीरे समाज में फैले अत्याचार और शोषण के ख़िलाफ़ मोर्चाबन्दी की। लेखक ने इन सभी बिन्दुओं को आलोकित किया है।
उस समय अंग्रेज़ी सरकार वैसे तो किसी की बात सुनने को तैयार नहीं थी, मगर इसने महात्मा फुले के महिलाओं की शिक्षा के लिए कार्यों की सराहना ही नहीं की, इस कार्य के लिए उन्हें सम्मान भी दिया।
महात्मा फुले का जीवन विराट है, लेखक ने अपनी सहज और आत्मीय भाषा में उनके सम्पूर्ण जीवन को संक्षिप्त, मगर सम्यक शैली में लिखा है। आशा है, नयी पीढ़ी के पाठक इसे पसन्द करेंगे।SKU: VPG9326355360 -
Jeevan Katha
Maulana Abul Kalam Azad
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद –
मौलाना अबुल कलाम आज़ाद का जीवन राष्ट्र के लिए समर्पित रहा। बचपन से लेकर अपनी अन्तिम साँस तक उन्होंने देश की एकता के लिए कार्य किया। मुस्लिम समाज की शिक्षा, न्याय-प्रियता और धार्मिक सहिष्णुता के लिए भी उन्होंने अथक प्रयास किये। लेखक ने इन सभी चीज़ों का बारीक़ी से अध्ययन करके सहज बोधगम्य भाषा में लिखा है, जिसके कारण इस पुस्तक की उपयोगिता अपने आप सिद्ध हो जाती है।
किसी का जीवन किन कारणों से लोगों के लिए अनुकरणीय बनता है और किन गुणों की वजह से वह हमेशा समाज में जीवित रहता है, इनका यदि किसी की जीवन-कथा में उल्लेख न हो तो फिर वह प्रेरणादायी नहीं बन सकती। लेखक ने इन तथ्यों पर विशेष ग़ौर किया है।
अबुल कलाम आज़ाद ऐसे शख़्स थे, जिन्होंने देश और समाज के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य किये और आज़ादी के संघर्ष में लम्बे अरसे तक जेल में रहे। यहाँ तक कि उन्होंने इसके लिए अपने घर-परिवार की भी परवाह नहीं की। ऐसे महान व्यक्ति के बारे में लिखकर लेखक ने बड़ा ही प्रशंसनीय कार्य किया है। हमें पूरी उम्मीद है कि देश की नयी पीढ़ी मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के जीवन से उन आदर्शों और गुणों को अवश्य ग्रहण करेगी, जिसके रहते न केवल देश का, बल्कि पूरे विश्व समुदाय में भाई-चारा, शान्ति और सौहार्द का वातावरण तैयार किया जा सकता है।SKU: VPG9326355377 -
Jeevan Katha
Meerabai
मीराबाई –
मीराबाई सगुण भक्ति की प्रभावशाली कवयित्री हैं। उन्होंने सिर्फ़ प्रेम के बलबूते पर असाधारण जीवन का निर्वाह किया, जो आसान न था, उस समय तो बिलकुल भी नहीं, जब राजघराने की स्त्रियों पर क्रूर बन्दिशों और लोकलाज तथा मान-मर्यादा की तलवारें खिंची रहती थीं, लेकिन मीरा ने किसी की कोई परवाह नहीं की। उन्होंने वही किया जो उनके गिरधर गोपाल ने स्वीकार किया।
किताब में लेखिका ने मीरा के उन सभी प्रसंगों और घटनाओं का सिलसिलेवार वर्णन किया है, जिनके रहते वे कृष्ण की प्रेम-दासी होती चली गयीं और भक्ति भाव में कविता, पद आदि लिखती गयीं, जो आज भारतीय साहित्य की अमूल्य निधि के रूप में संग्रहीत हैं।
मीराबाई उदात्त चरित्र की महिला थीं। उन्होंने कृष्ण के अलावा किसी के सामने अपना सिर नहीं झुकाया। पति की मृत्यु के बाद उस समय की चली आ रही राजसी परम्परा में उन्होंने सती होना स्वीकार नहीं किया। स्त्री में कृष्ण प्रेम का इतना विराट और भव्य रूप मीराबाई के अलावा अन्य किसी में पाना दुर्लभ है। इसलिए, वे कृष्ण-भक्ति काव्य की सर्वमान्य कवयित्री के रूप में प्रतिष्ठित तो हैं ही, समाज में उनके कृष्ण-प्रेम की बड़ी ही कारुणिक और मार्मिक छवि अंकित है।
लेखिका ने इन सभी पक्षों पर बड़े ही सलीके से लिखा है, जिसके कारण यह पुस्तक बच्चों और युवाओं के लिए बेहद पठनीय बन पड़ी है।SKU: VPG9326355346 -
Jeevan Katha
Pandit Deendayal Upadhyay
पण्डित दीनदयाल उपाध्याय –
दीनदयाल जी आनेवाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणादायी हैं। उन्होंने जीवन भर जनसाधारण से सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक और राजनीतिक क्षेत्रों से सम्पर्क बरसादगी, निष्ठा और कर्मठता ने जनता के बीच ऐसी छवि छोड़ी जिसको सदैव याद किया जाता रहेगा।
युवा पीढ़ी के प्रेरणा स्रोत और हम सभी की यादों में सदैव रहनेवाले पं. दीनदयाल उपाध्याय जी का जीवन बचपन से ही संघर्षों से भरा रहा। फिर भी वह सदैव ऊर्जावान रहे। कभी उनके जीवन में निराशा नहीं आयी। वह दूसरों के दुख को दूर करने की कोशिश उम्र भर करते रहे। उन्होंने अपना जीवन समाज सेवा और राष्ट्रहित के लिए अर्पित कर दिया। हम ऐसे महान पुरुष के जीवन चरित्र से प्रेरणा लें और अपने जीवन को एक नयी पहचान देने की कोशिश करें। यही उनके प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।SKU: VPG9326355407 -
Jeevan Katha
Rahim
रहीम –
रहीम अकबर के पिता हुमायूँ के जाँबाज़ सेनापति बैरम ख़ाँ के बेटे थे। वह सत्ता के लिए निरन्तर साज़िशों और लड़ाइयों के कारण भारी उथल-पुथल का दौर था और रहीम का बचपन इन्हीं साज़िशों और उथल-पुथल के बीच अपने पिता की हत्या के बाद अकबर के संरक्षण में बीता था। एक जाँबाज़ योद्धा और उदार बादशाह के संरक्षण में पले-बढ़े रहीम का व्यक्तित्व भी लगभग वैसा ही बन गया था। वे अपने युद्धकौशल के कारण तो मशहूर थे ही, अपनी हाज़िर-जवाबी और दानशीलता के कारण भी उतने ही विख्यात थे। जो सेनापति लड़ाई जीतने के बाद अपने सैनिकों के बीच अपनी सारी दौलत, यहाँ तक कि अपना क़लमदान भी दान में दे सकता है या किसी कवि को उसकी दो पंक्तियों के लिए लाखों रुपये दान में दे सकता है, उसकी उदारता और कलाप्रियता प्रसिद्ध है।SKU: VPG9326355384 -
Jeevan Katha
Raja Rammohan Rai
राजा राममोहन राय –
राजा राममोहन राय कोई साधारण इन्सान न थे। सम्पन्न परिवार में जन्म लेकर भी उन्होंने आम जनता की भलाई के लिए कार्य किये। सबसे पहले उन्होंने सती प्रथा जैसी भयंकर और पीड़ादायक प्रथा को बन्द करवाया और पति की मृत्यु के बाद स्त्री को सम्मानित जीवन जीने का हक़ दिलवाया। दूसरी, कुप्रथा जो इस समाज के लिए कलंक थी, वह थी बाल विवाह। इस प्रथा को बन्द करने में भी राजा राममोहन राय ने अपना भरपूर योगदान दिया। उन्होंने लोगों को समझाया कि शादी-विवाह जैसे कर्म के लिए उन्हीं बच्चों को प्रोत्साहित करें, जो इस योग्य हों।
लेखक ने राजा राममोहन राय की जीवन-कथा को सिलसिलेवार अंजाम तक पहुँचाया है इसलिए वह अत्यन्त पठनीय बन पड़ी है। इतना ही नहीं राजा राममोहन राय का जो संघर्ष था——
समाज-सुधार में उनके योगदान के लिए, लेखक ने उसे ख़ासतौर पर रेखांकित किया है।
निश्चित ही यह पुस्तक बच्चों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी।SKU: VPG9326355315 -
Jeevan Katha
Ramkrishn Paramhans
रामकृष्ण परमहंस –
रामकृष्ण परमहंस महात्मन् पुरुष थे। उन्होंने बचपन से ही सादगीपूर्ण जीवन अपनाया और भक्ति-भाव में लीन रहने लगे। लेखक ने अपने स्वाध्याय से इनके जीवन चरित को बड़े ही मनोभाव से लिखा है। रामकृष्ण माँ काली के भक्त थे। ‘माँ’ के अलावा उन्हें किसी से भी प्रीत नहीं थी। इसलिए विवाह के उपरान्त उन्होंने अपनी जीवन-संगिनी को भी अपने आचरण में ढाल लिया और दोनों मानव-कल्याण के लिए कार्य करने लगे।
लेखक ने रामकृष्ण परमहंस के गूढ़ रहस्यों को बड़े ही सहज शब्दों में रखा है, ताकि इस किताब के हर उम्र के पाठक परमहंस की जीवनी को अपने हृदय में सहज ही उतार सकें। पाठकों की सुविधा के लिए लेखक ने पुस्तक के पूरे विषय को अलग-अलग शीर्षकों में विभक्त किया है। लेखक ने इन शीर्षकों में विभक्त रामकृष्ण परमहंस के जीवन को इस तरह रखा है कि वह सीधे दिल में उतरता चला जाता है। यह पुस्तक निश्चित रूप से युवा पीढ़ी के लिए बहुत उपयोगी सिद्ध होगी।SKU: VPG9326355087 -
Jeevan Katha
Rani Laxmibai
रानी लक्ष्मीबाई –
रानी लक्ष्मीबाई भारतीय स्वाधीनता संग्राम की पहली महिला सेनानी हैं। 1857 के सैनिक विद्रोह के आसपास इन्होंने भी अंग्रेज़ी दासता के ख़िलाफ़ बग़ावत कर दी थी। लक्ष्मीबाई जहाँ एक ओर स्वाधीनता के लिए पृष्ठभूमि तैयार कर लोगों में जोश भर रही थीं वहीं उनकी ओजस्विता से बालिकाओं, महिलाओं और साधारण जनता को अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा मिल रही थी।
रानी लक्ष्मीबाई ने अपनी वीरता की जो मिसाल पेश की है वह उनके देशप्रेम, अधिकारों के प्रति लड़ने की जिजीविषा और त्याग का प्रतीक है।
रानी लक्ष्मीबाई साधारण परिवार में जनमी थीं लेकिन उन्होंने झाँसी का राज्य बड़ी कुशलता एवं वीरता से सँभाला। उन्होंने अंग्रेज़ों से झाँसी की रक्षा करते-करते अपने प्राणों की आहुति तक दे दी।
इस पुस्तक में रानी लक्ष्मीबाई की जीवन कथा के साथ-साथ तत्कालीन राजनीतिक स्थितियों के अलावा झाँसी के इतिहास के बारे में पर्याप्त सामग्री है। लेखिका ने बड़ी सहज-सरल भाषा में इसे प्रस्तुत किया है ताकि पाठकों को इतिहास के इस अमर चरित्र के बारे में जानने-समझने का मौक़ा मिले।SKU: VPG9326355223 -
Jeevan Katha
Sant Ravidas
सन्त रविदास –
हमारे देश में आदिकाल से एक धारा चली आ रही है, जो यह मानती है कि ईश्वर नाम की एक सर्वशक्तिमान सत्ता है जिसने इस सृष्टि की रचना की है और उसे संचालित करती है। इस सत्ता के प्रति भक्ति और समर्पण स्वाभाविक है। भक्ति की यह धारा दक्षिण भारत से 14वीं-15वीं शताब्दी में उत्तर भारत पहुँची और एक आन्दोलन के रूप में फैल गयी। विदेशी आक्रमणों से त्रस्त समाज को इस आन्दोलन में एक सुकून जैसा मिला और इसमें से स्वामी रामानन्द, कबीर, सन्त रविदास, सेन नाई, पीपाजी, धन्ना भगत सरीखे कई सन्त उभरे। इनके पदों, भजनों, दोहों आदि ने पूरे समाज को भक्ति रस में सराबोर किये रखा। उनका जीवन पूरे समाज के लिए एक सन्देश बन गया।SKU: VPG9326355391 -
Jeevan Katha
Sarvapalli Radhakrishnan ( Jeevan Katha )
सर्वपल्ली राधाकृष्णन –
सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन देश के पहले उप राष्ट्रपति और फिर राष्ट्रपति बननेवाले महान् दार्शनिक थे। उनका समग्र जीवन भारतीय दर्शन के अध्ययन-मनन में बीता। डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन् संस्कृत और अँग्रेज़ी के विलक्षण विद्वान थे। तमिलभाषी होते हुए भी उन्होंने भारतीय दर्शनशास्त्र को संस्कृत के माध्यम से जाना पहचाना था।
भारतीय गणतन्त्र की स्थापना के बाद राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के साथ-साथ उन्होंने उपराष्ट्रपति पद को ग्रहण किया था और दो बार उपराष्ट्रपति पद की गरिमा को निभाते हुए वे भारत के द्वितीय राष्ट्रपति बने थे। अपने कार्यकाल में वे सदैव निर्विवाद रहे। देश के उच्चतम पदों पर आसीन रहने के बावजूद डॉ. राधाकृष्णन को एक राजनेता के रूप में नहीं अपितु एक महान दार्शनिक, भारतीय संस्कृति के उद्भट विद्वान और शिक्षाशास्त्री के रूप में याद किया जाता है। यह सर्वविदित है कि सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस 5 सितम्बर को सम्पूर्ण देश में ‘शिक्षक दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।
डॉ. प्रभाकिरण जैन द्वारा डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के प्रारम्भिक जीवन से लेकर उनके सम्पूर्ण जीवन को सरल भाषा में बालोपयोगी शैली में लिख गया है जिसे पढ़कर नयी पीढ़ी के लोग उनके जीवन में व्याप्त सरलता, सादगी और उच्च विचारों की गरिमा को सहज रूप में ग्रहण करके वे अपने भावी जीवन को नयी दिशा देंगे।SKU: VPG9326355117 -
Jeevan Katha
Shree Ram
श्रीराम –
मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम, दशरथ के राम, कौशल्या के राम, सीता के राम, लक्ष्मण के राम, भरत के राम, शबरी के राम, केवट के राम, हनुमान के राम, तुलसी के राम, वाल्मीकि के राम, जन-जन के राम, कण कण के राम, जग उद्धारक राम, प्रजापालक राम, विष्णु के अवतार राम, अच्छाई के प्रकाशक राम, बुराई पर विजय प्राप्त करने वाले राम… और भी कितने रूप हैं राम के, सबको लिखना वास्तव में कठिन है।
आख़िर कौन थे राम? भारतवर्ष में हमेशा से महापुरुष हुए हैं। उन्हीं महापुरुषों में एक थे— श्रीराम सबसे पहले महर्षि वाल्मीकि ने उनके बारे में लिखा। उनके बाद तुलसीदास ने ‘रामचरितमानस’ लिखी। तुलसी के बाद कितनी बार कितने रूपों में श्रीराम की कथा लिखी गयी यह बताना कठिन है।
राजा बनने के बाद उन्होंने अपनी प्रजा का हमेशा ध्यान रखा। उनका राज ‘राम-राज्य’ के रूप में सारे संसार में आज भी जाना जाता है। ऐसे लोकहितकारी राम के बारे में जानने की उत्सुकता सबको रहती है। लेखिका ने बहुत ही रोचक ढंग से श्रीराम के जीवन को रेखांकित किया है।SKU: VPG9326355179 -
Jeevan Katha
Shri Krishna
श्रीकृष्ण –
श्रीकृष्ण जगद्गुरु हैं, युग पुरुष तो हैं ही उससे भी अधिक कालातीत व्यक्तित्व हैं। वे केवल अपने युग के नायक नहीं हैं युग-युगान्तर तक, जब तक यह सृष्टि है तब तक मनुष्य मात्र के लिए एक सच्चे पथ प्रदर्शक बने रहेंगे।
श्रीकृष्ण आत्मज्ञानी थे, वे जानते थे कि वे स्वयं नारायण हैं। फिर भी उन्होंने दिव्य शक्तियों का प्रयोग कभी नहीं किया। उन्होंने सदैव बुद्धिचातुर्य और शारीरिक बल से ही संकटों पर विजय पाया। अपने आत्मस्वरूप को उन्होंने कुछ अवसरों पर प्रगट भी किया, जैसे यशोदा माँ को अपने मुख में चौदह भुवन का दर्शन कराना या गीता-प्रसंग में अर्जुन को विश्वरूप दर्शन आदि, लेकिन वे मानवता को उसके छिपे हुए दिव्यास्त्रों का ज्ञान मनुष्य बनकर ही कराना चाहते थे—मनुष्य संकल्प मात्र से जीवन को विपदाहीन कर सकता है। सत्य, अहिंसा, प्रेम, करुणा और समदृष्टि हमारे दिव्यास्त्र हैं—जहाँ सत्य है वहाँ लोभ नहीं, जहाँ अहिंसा है वहाँ क्रोध नहीं, जहाँ प्रेम है वहाँ काम नहीं, जहाँ करुणा है वहाँ घृणा नहीं, जहाँ समदृष्टि है वहाँ द्वेष नहीं—जब ये दुर्गुण सद्गुणों से नष्ट कर दिये जाते हैं तो जीवन सुखमय हो जाता है। श्रीकृष्ण ने मनुष्य बनकर मनुष्य धर्म निभाकर स्वधर्मे निधनं श्रेयः के उपदेश को सार्थक कर दिखाया।SKU: VPG9326355209 -
Jeevan Katha
Tulsidas ( Jeevan Katha )
तुलसीदास –
तुलसीदास राम भक्त, समाज सुधारक, दार्शनिक और अनन्य कवि थे। अपनी कविता में राम का गुणगान करना उनका मुख्य उद्देश्य था। लेकिन यह बात ध्यान देने के योग्य है कि तुलसी द्वारा राम का गुणगान का अर्थ मात्र अवतारी पुरुष ‘राम’ का गुणगान नहीं था, वरन् उनके लिए राम उन अच्छाइयों के प्रतीक थे जिन्हें वे सभी मनुष्यों में देखना चाहते थे। पुस्तक में तुलसीदास के व्यक्तित्व, उनके प्रारम्भिक जीवन, शिक्षा, वैराग्य, देशाटन, श्री राम से उनकी भेंट आदि के विषय में बताया गया है। पाठकों को यह पुस्तक न केवल रोचक प्रतीत होगी बल्कि उनके लिए ज्ञानवर्धक व उपयोगी भी सिद्ध होगी।SKU: VPG9326355216