Marathi Novel/Poetry
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Marathi Novel/Poetry
Bimb Pratibimb
बिम्ब प्रतिबिम्ब –
मराठी के वरिष्ठ उपन्यासकार और लेखक चन्द्रकान्त खोत द्वारा लिखित महापुरुषों के जीवन पर आधारित अनेक उपन्यासों में से एक है – स्वामी विवेकानन्द के जीवन पर आधारित आत्मकथात्मक बृहद् उपन्यास ‘बिम्ब प्रतिबिम्ब’। विवेकानन्द पर अधिकांश भारतीय भाषाओं में बहुत कुछ लिखा गया है, फिर भी उनके जीवन के कई ऐसे पहलू हैं जिनसे आम पाठक आज भी अनभिज्ञ है। बिम्ब प्रतिबिम्ब में ऐसे कई रोचक प्रसंग हैं जो न केवल पाठकों को गुदगुदाते हैं, उन्हें आत्मविभोर भी करते हैं।
लेखक ने इस उपन्यास के माध्यम से हमारी विविधतापूर्ण संस्कृति में भारतीयता की मूलभूत ऊँचाइयों को बड़ी शिद्दत से स्वर दिया है। मानवीय गुणों के प्रति समर्पण का भाव कथानक की धारा में आदि से अन्त तक देखा जा सकता है। स्वामी विवेकानन्द, गुरु श्री रामकृष्ण परमहंस, उनके गुरुबन्धु, स्वामीजी का देश-विदेश भ्रमण और देश की तात्कालिक परिस्थितियाँ । सभी कुछ प्रस्तुत कृति में एक ही जगह समाहित करने का लेखक का प्रयास रहा है। रामकृष्ण और विवेकानन्द दोनों स्वच्छ आईने की तरह हैं, जिनकी बिम्ब और प्रतिबिम्ब के रूप में प्रस्तुति हमारे आज के समाज के लिए एक आदर्श उदाहरण है।
स्वामी विवेकानन्द की 150वीं जयन्ती वर्ष पर पाठकों को समर्पित है एक अत्यन्त पठनीय और रोचक प्रसंगों से भरी जीवन-गाथा – ‘बिम्ब प्रतिबिम्ब’ ।SKU: VPG9326351003 -
Marathi Novel/Poetry
Ek Tha Fengadaya
एक था फेंगाड्या –
सभ्यता के विकास का इतिहास सद्भाव, मैत्री और संघटन पर आधारित रहा है। लाखों वर्ष गुफाओं में रहनेवाले आदिमानव ने भी अपनी संवेदनशीलता और साथ रहने की भावना के वशीभूत होकर अपने सामाजिक जीवन का प्रारम्भ और तात्कालिक चुनौतियों का सामना किया था। पहली बार किसी लाचार को सहारा देने और बीमार को स्वस्थ करने का विचार जिस मनुष्य के मन में आया, वहीं से मानवीय करुणा और एक दूसरे का सम्मान करने की संस्कृति प्रारम्भ हुई जिसने मानव को आज सभ्यता के शिखर तक पहुँचाया।
मराठी के प्रसिद्ध साहित्यकार श्री अरुण गद्रे को, जो पेशे से डॉक्टर भी हैं, इस विचार ने ज़यादा रोमांचित किया कि किसी अपंग को उस युग के व्यक्ति ने किस प्रकार स्वस्थ किया होगा और एक नये प्रयोग का विचार उसके मस्तिष्क में कैसे आया होगा। कैसा रहा होगा वह मनुष्य, वह हीरो, जिसके हृदय में पहली बार मैत्री मदद का झरना फूटा होगा। तमाम सन्दर्भ ग्रन्थों के अध्ययन और अपनी साहित्यिक प्रतिभा से डॉ. गद्रे ने मराठी में इस अद्भुत कृति ‘एक था फेंगाड्या’ का सृजन किया।
यह उपन्यास मानवीय संवेदना, उसकी पारस्परिकता तथा अग्रगामिता को विशेष तौर पर रेखांकित करता है। प्रागैतिहासिक काल की कथावस्तु पर केन्द्रित इस उपन्यास को पढ़ते हुए पाठक के मन में अनेक जिज्ञासाएँ पैदा होती हैं जिनका समाधान भी उपन्यास में मिलता चलता है। मराठी के इस उपन्यास को कुशलता से हिन्दी में अनूदित किया है प्रसिद्ध लेखिका श्रीमती लीना महेंदले ने। आशा है हिन्दी के प्रबुद्ध पाठक इसका भरपूर स्वागत करेंगे।SKU: VPG8126311177 -
Marathi Novel/Poetry
Naganika
नागनिका –
सम्राट अशोक के शासनकाल के बाद लगभग साढ़े चार सौ वर्षों तक सातवाहन (शालिवाहन) राजवंश का समृद्ध इतिहास मिलता है। इसी वंश की तीसरी पीढ़ी की राज-शासिका थी—’नागनिका’। विश्व के इतिहास में नागनिका पहली महिला शासक मानी जा सकती है। उपन्यास की नायिका नागनिका सम्राट सिमुक सातवाहन की पुत्रवधू तथा सिरी सातकर्णी की पत्नी है। युवावस्था में ही सिरी सातकर्णी का निधन हो जाने से वह राज्य कार्यभार सँभालती है।
सातवाहन काल में बृहद् महाराष्ट्र, जिसमें कर्णाटक कोंकण तक सम्मिलित थे, की राजधानी प्रतिष्ठान (पैठण) थी। महारानी नागनिका कहने को तो शक कन्या है लेकिन सातवाहन के ब्राह्मण कुल से सम्बद्ध होते ही वह आर्य संस्कृति के संरक्षण एवं समृद्धि के लिए तन-मन से योगदान करती है। शासन की व्यवस्था में जहाँ वह सर्वजनहिताय समर्पित है वहीं गृहकलह के कारण साम्राज्य विघटित न हो, इसके लिए स्वजन को भी दण्डित करने में नहीं हिचकती। कहना न होगा कि प्रस्तुत उपन्यास तत्कालीन सामाजिक, राजनीतिक एवं धार्मिक परिस्थितियों की वास्तविकता से हमारा साक्षात्कार कराता है।
उपन्यास ‘नागनिका’ में सातवाहन सम्राट सिरी सातकर्णी, नायिका नागनिका तथा उसके दोनों पुत्रों——वेदिश्री और शक्तिश्री का चरित्र प्रमुख रूप से निरूपित हुआ है।
इतिहास के शोधकर्ताओं से उपलब्ध सामग्री तथा लेखिका का लेखन-स्वातन्त्र्य इस उपन्यास को विशेष लालित्य प्रदान करता है।SKU: VPG9326352376 -
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Rajvadhoo
राजवधू –
मराठी लेखिका शुभांगी भडभडे का चर्चित उपन्यास ‘राजवधू’ कृष्णभक्त मीरा के जीवन पर आधारित है। राजस्थान के इतिहास में मीरा का पितृकुल और श्वसुरकुल दोनों ही अत्यन्त प्रसिद्ध रहे हैं, फिर भी मीरा के जीवन प्रसंग एकदम प्रामाणिक न होकर वहाँ की जनश्रुतियों एवं लोकगाथाओं पर आश्रित हैं। लेखिका ने राजस्थान का इतिहास, जनश्रुति और कुछेक आलेखों को साक्ष्य मानकर इस उपन्यास का तानाबाना बुना है।
सात वर्ष के वैवाहिक जीवन के बाद जब मीरा ने युवावस्था में पदार्पण किया, तभी उसे वैधव्य प्राप्त हो गया था। उसके बाद तो पीहर और ससुराल के सभी आधार एक-एक कर समाप्त होते गये थे। तब फिर कृष्णभक्ति ही मीरा का जीवनाधार बनी। निराकार के उत्कट प्रेम में वह राजकुल की मर्यादा भी भूल बैठी। वह कृष्णमय या कहें आत्ममग्न हो गयी। अपनी पराकाष्ठा में निराकार भक्ति साकार बन बैठी, सम्भवतः इसीलिए वह वैधव्य को झेलती हुई भी जीवनभर स्वयं को सौभाग्यवती मानती रही।
प्रस्तुत उपन्यास में लेखिका ने मीरा को प्रसिद्ध राजवंश की एक राजकुमारी के रूप में, राजवधू के रूप में, श्रीकृष्ण की आराधिका और कवयित्री के रूप में चित्रित किया है। उपन्यास का कथानक इतना रोचक बन पड़ा है कि एक बार पढ़ना आरम्भ करने के बाद पाठक उसे बीच में छोड़ना नहीं चाहेगा।SKU: VPG8126318841 -
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Vadhastambh
वधस्तम्भ –
क्षय होती सामाजिकता, स्वार्थकेन्द्रित मानसिकता, और हिंसक गतिविधियों के कर पंजों में छटपटाती मानवता को औपन्यासिक कलेवर में दिखाने की सार्थक और महत्वपूर्ण कोशिश है—’वधस्तम्भ’। यह उपन्यास वर्तमान समाज का दर्पण है जो हमारे समाज की क्रूर सच्चाई को प्रकट करने में कोई संकोच नहीं करता। धर्म, अर्थ और काम-सम्बन्धों की विकृतियों ने मनुष्य के सहज-सम्बन्धों को इस हद तक विकृत कर दिया है कि जीने की सार्थकता खो गयी सी लगती है। ऐसी स्थिति में आश्चर्य नहीं कि हर संवेदनशील व्यक्ति को लगे कि वह अपना वधस्तम्भ ख़ुद अपने कन्धों पर ढोता हुआ चलने को विवश है।
धार्मिक आतंकवाद के ज़हर ने न केवल हमारी सामाजिक समरसता का विनाश किया है बल्कि उसने नवजागरण काल के समाज सुधारकों के सामाजिक उत्थान हेतु किये गये अथक प्रयासों पर भी कालिख पोत दी है। उपन्यास की एक प्रमुख पात्र ‘मरियम’ की कोशिश रहती है कि वह ईसा मसीह के बताये रास्ते पर चलते हुए लाख बाधाओं और विपरीतताओं के बावजूद मानव-कल्याण का काम करती रहे। कहना न होगा कि अपने परिवेशगत कीचड़ में एक वही कमल के समान खिली नज़र आती है। मरियम जैसे चरित्रों के रहते ही मानव का भविष्य सुरक्षित है, यह उपन्यास इसकी प्रतीति कराता है।
मराठी का ‘वधस्तम्भ’ अपने समय का महत्त्वपूर्ण उपन्यास है, जिसकी मराठी में बहुत चर्चा हुई है। आशा है हिन्दी पाठक भी इसका उतनी ही गहराई से आस्वादन कर सकेंगे।SKU: VPG8126310022