Poetry, Poems and Ghazals
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Poetry, Poems and Ghazals
A Full Circle
A Full Circle is a poetic ode to poetry’s power, where art and verse are brought alive. Namrita Bachchan, artist and author, describes childhood magic and the wonders of reading through the eyes her five-year old daughter. The words of this beautifully illustrated book are infused with a soothing rhythm and ethereal imagery. They take readers on a magical journey against the backdrop nature. A vast, wild world awaits your exploration – in a way that’s more free, richer, and ultimately, fuller.
SKU: PRK9354894718 -
Poetry, Poems and Ghazals
A God at the Door
The Forward Prize for Best Collection 2021 Shortlisted ‘May we always possess the music and elegant fury Tishani Doshi’s poetry. FATIMA BHUTTO The poems of Tishani Donshi’s A God At the Door are large-scale, reaching for visionary answers… astonishing and ambitious. THE GUARDIAN ‘At Doshi’s core, poetry is a search, through anguish, exhilaration for that hidden, yet always-present harmony, which connects all creatures, animates everything, heals all traumas, and animates all life. The book’s topographies could be explored for hours by any reader. RANJIT HOSKOTE Tishani Toshi’s new collection of poems addresses hyper-nationalism, misogyny head-on. It transforms a collective grief and anger into a beam light of hope and resilience. A God at The Door was shortlisted for the 2021 Forward Prize in Best Collection. It is a true tour de force.
SKU: PRK9354227349 -
Poetry, Poems and Ghazals
A Name for Every Leaf:Selected Poems, 1959-2015
Ashok Vajpeyi, a Hindi poet-critic, has fifteen books of Hindi poetry. His books of poetry, literature, the visual and classical Indian music have been published in Hindi and English. His poetry has been translated into books in English, Bengali and Marathi as well as German, English, French, German, English, Bengali and Oriya. He was a recipient of the Sahitya Akademi (1994), Dayavati Kavi Shekhar Samman (1996), and Kabir Samman (2006). In addition to being a writer, editor, and translator, Rahul Soni has translated his poetry in English, French, German, English, Bengali, Marathi, Oriya, Gujrati, Urdu, and Rajasthani. He edited Home from a Distance, a collection of Hindi poetry in English translation (Pratilipi Books 2011) and translated Magadh from Shrikant Verma (Almost Island Books 2013) and The Roof Beneath their Feet (HarperCollins India 2013). He currently resides in India.
An acclaimed master of Hindi poetry, this collection contains lyrical poems. They capture the variety of styles and concerns that one of Hindi’s most renowned writers. These poems are selected from a large collection of work that spans many decades and beautifully translated by Rahul Singhi. Arundhathi Subramaniam introduces them.SKU: PRK9351777021 -
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Aakhar Arath
आखर अरथ –
दिनेश कुमार शुक्ल शब्द और मनुष्य की समेकित संस्कृति के संश्लिष्ट कवि हैं। जीवन के द्वन्द्व से उत्पन्न आलाप उनकी कविताओं में एक स्वर समारोह की तरह प्रकट होता है। विभिन्न संवेदनाओं से संसिक्त दिनेश कुमार शुक्ल की रचनाएँ अति परिचित समय का कोई अ-देखा चेहरा उद्घाटित करती हैं। ‘आखर अरथ’ की कविताएँ समकालीन हिन्दी कविता के अन्तःकरण का आयतन विस्तृत करते हुए उसे कई तरह से समृद्ध करती हैं। ‘एक आम एक नीम’ की ये पंक्तियाँ जैसे कवि-कर्म के तत्त्वार्थ का निर्वाचन हैं— ‘धरती के भीतर से वह रस ले आना है/ जिसको पीकर डालों के भीतर की पीड़ा/ पीली-पीली मंजरियों में फूट पड़ेगी।’
‘कबिहि अरथ आखर बल साँचा’ के काव्य-सिद्धान्त को दिनेश कुमार शुक्ल ने आत्मसात किया है। प्रस्तुत संग्रह की कविताओं ‘नया धरातल’, ‘काया की माया रतनजोति’, ‘चतुर्मास’, ‘तुम्हारा जाना’, ‘विलोम की छाया’, ‘मिट्टी का इत्र’, ‘दुस्साहस’, ‘आखर अरथ’, ‘वापसी’ और ‘रहे नाम नीम का’ आदि में शब्द केवल संरचना का अंग नहीं हैं, वे रचनात्मक सहयात्री भी हैं। प्रायः अर्थहीनता के समय में कवि दिनेश कुमार शुक्ल की यह वागर्थ सजगता उन्हें महत्त्वपूर्ण बनाती है। निराला की पंक्ति— ‘एक-एक शब्द बँधा ध्वनिमय साकार’ की कई छवियाँ ‘आखर अरथ’ संग्रह को ज्योतित करती हैं। वर्तमान ‘तुमुल कोलाहल कलह’ में कवि दिनेश हृदय की बात कहते शब्द पर भरोसा करते हैं। वे उन सरल और बीहड़ अनुभवों में जाना चाहते हैं, ‘जहाँ मिलेगा शायद अब भी एक शब्द जीवन से लथपथ’। ये कविताएँ बहुरूपिया समय में सक्रिय विदुष और विदूषक के बीच जीवन-विवेक की उजली रेखा खींचती हैं।
स्मृति, विस्मरण, आख्यान और मितकथन से लाभान्वित इन कविताओं में ‘आर्ट ऑफ़ रीडिंग’ है। शिल्प की लयात्मक उपस्थिति से रचनाएँ आत्मीय बन गयी हैं।
‘आखर अरथ’ कविता-संग्रह का प्रकाशन निश्चित रूप से एक सुखद घटना है।SKU: VPG8126317172 -
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Aane Wale Kal Par
आने वाले कल पर –
सुधांशु उपाध्याय के गीतों का यह तीसरा संकलन है। इस संकलन के गीतों में अपने समय का जीवन अपने पूरे वैविध्य के साथ रूपायित है। इसमें स्वयं को नीलाम करता आदमी हैं, जंगल में लकड़ी की तरह टूट-टूट जाने वाली आदिवासी औरतें हैं, छत के कुंडे से लटक गयी छोटी सी लव स्टोरी है, उजाले को नोच-नोच कर खा रही एक लम्बी काली रात है। तहख़ाने में बैठा दिन है, छुरियों की नोक पर खड़े, सपनों का चिथड़ा सहेजते लोग हैं, मिथुन-मूर्तियों से सजे सत्ता के गलियारे हैं, रईसों के घर हैं। तात्पर्य यह कि इन गीतों में वह सब कुछ है जिसे हम आज के जीवन की लय कह सकते हैं।
…. वस्तुतः यह सम्पूर्ण जीवन विस्तार, जिसमें हम जी रहे हैं, एक मौन कविता है जिसे शब्द की ज़रूरत है। एक सन्नाटा है जो मुखर होना चाहता है। सुधांशु की सहानुभूति उन लोगों के साथ ज़्यादा गहरी है जो इतने विवश हैं कि ‘आह’ भी नहीं भर सकते। इस सन्दर्भ में ‘लड़की ज़िन्दा है’ और ‘अम्मा एक कथा-गीत’ शीर्षक कविताएँ उल्लेखनीय हैं।
सहजता में गहरी अर्थ सांकेतिकता सुधांशु की कविताओं की विशेषता है। आज सत्ता और पूँजी के रेशमी जाल में सामान्य जन-जीवन ज़्यादा जटिल संघर्ष चक्र में छटपटा रहा है, कवि की अपनी निजी वेदनाएँ भी हैं जिनके शब्द-चित्र उसके गीतों में मौजूद हैं, फिर भी वह अपने सपनों को सहेजे हुए चल रहा है। आने वाले कल पर उसका भरोसा है और रेत में भटके हुए काफ़िलों को वह सोचने के लिए प्रेरित करता है। यह भविष्य-दृष्टि न केवल उसके इन गीतों को शक्ति देगी बल्कि आगे भी उसे सर्जनारत रहने की प्रेरणा देती रहेगी।—डॉ. विश्वनाथ प्रसाद तिवारीSKU: VPG8126330867 -
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Aansoo Ka Vazan
केदारनाथ सिंह की कविताओं का यह चयन सम्भवतः उनका सर्वाधिक प्रतिनिधि एवं प्रसन्न कविता संकलन है। यहाँ प्रायः सभी कविता पुस्तकों से, तथा कुछ बाहर से भी, स्वयं कवि द्वारा चुनी गयी कविताएँ संकलित हैं। विशेषकर वे कविताएँ जिनका आकार छोटा है। इनमें कुछ वो कविताएँ भी हैं, जैसे ‘जाना’ या ‘हाथ’, जो कविता प्रेमियों को कण्ठस्थ हैं। अपने मूल संग्रह-आवास से बाहर एक अलग जैव-संगति में चिरपरिचित कविताएँ भी नया रंग और अर्थ धारण कर लेती हैं। यहाँ केदार जी के काव्य का सम्पूर्ण वर्णक्रम संयोजित है, उनके प्रिय विषय, जगहें, चरित्र, भोजपुरी के शब्द-मुहावरे, महीन विनोद वृत्ति और निष्कम्प प्रतिरोध भाव। और सर्वोपरि करुणा । बुद्ध और कबीर उनकी कविता के जल-चिह्न की तरह निरन्तर पेबस्त हैं। इसीलिए एक निस्पृहता और मृत्यु की जीवन्त उपस्थिति भी केदार जी की कविता की पहचान है। लेकिन सबसे ऊपर है केदारनाथ सिंह का उत्कट जीवन प्रेम, छोटी से छोटी बातों और वस्तुओं का गुणगान, और एक अपराजेय किसानी जीवट। इन कविताओं को पढ़ना एक महान् कवि के साथ सुबह की सैर की तरह है। केदार जी ने हमें इस पृथ्वी को नयी तरह से देखना सिखाया। हमें रास्ता बताया, उधर घास में पॅसे हुए खुर की तरह चमकता रास्ता। यह वो किताब है, शायद राग-विराग के बाद पहली चयनिका, जो कविता से प्रेम करने वाले हर व्यक्ति के थैले में होनी ही चाहिए। इतनी साफ़-सुथरी, निथरी कविताएँ एक साथ। एक अकेली किताब जो अनेक भावों विचारों से विभोर करती अकारण हममें गहरी लालसा और आर्द्रता जगाती है उसकी पूछती हुई आँखें भूलना मत नहीं तो साँझ का तारा भटक जायेगा रास्ता किसी को प्यार करना तो चाहे चले जाना सात समुन्दर पार पर भूलना मत कि तुम्हारी देह ने एक देह का नमक खाया है -अरुण कमल
SKU: VPG9388684088 -
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Aansoo Ka Vazan
केदारनाथ सिंह की कविताओं का यह चयन सम्भवतः उनका सर्वाधिक प्रतिनिधि एवं प्रसन्न कविता संकलन है। यहाँ प्रायः सभी कविता पुस्तकों से, तथा कुछ बाहर से भी, स्वयं कवि द्वारा चुनी गयी कविताएँ संकलित हैं। विशेषकर वे कविताएँ जिनका आकार छोटा है। इनमें कुछ वो कविताएँ भी हैं, जैसे ‘जाना’ या ‘हाथ’, जो कविता प्रेमियों को कण्ठस्थ हैं। अपने मूल संग्रह-आवास से बाहर एक अलग जैव-संगति में चिरपरिचित कविताएँ भी नया रंग और अर्थ धारण कर लेती हैं। यहाँ केदार जी के काव्य का सम्पूर्ण वर्णक्रम संयोजित है, उनके प्रिय विषय, जगहें, चरित्र, भोजपुरी के शब्द-मुहावरे, महीन विनोद वृत्ति और निष्कम्प प्रतिरोध भाव। और सर्वोपरि करुणा । बुद्ध और कबीर उनकी कविता के जल-चिह्न की तरह निरन्तर पेबस्त हैं। इसीलिए एक निस्पृहता और मृत्यु की जीवन्त उपस्थिति भी केदार जी की कविता की पहचान है। लेकिन सबसे ऊपर है केदारनाथ सिंह का उत्कट जीवन प्रेम, छोटी से छोटी बातों और वस्तुओं का गुणगान, और एक अपराजेय किसानी जीवट। इन कविताओं को पढ़ना एक महान् कवि के साथ सुबह की सैर की तरह है। केदार जी ने हमें इस पृथ्वी को नयी तरह से देखना सिखाया। हमें रास्ता बताया, उधर घास में पॅसे हुए खुर की तरह चमकता रास्ता। यह वो किताब है, शायद राग-विराग के बाद पहली चयनिका, जो कविता से प्रेम करने वाले हर व्यक्ति के थैले में होनी ही चाहिए। इतनी साफ़-सुथरी, निथरी कविताएँ एक साथ। एक अकेली किताब जो अनेक भावों विचारों से विभोर करती अकारण हममें गहरी लालसा और आर्द्रता जगाती है उसकी पूछती हुई आँखें भूलना मत नहीं तो साँझ का तारा भटक जायेगा रास्ता किसी को प्यार करना तो चाहे चले जाना सात समुन्दर पार पर भूलना मत कि तुम्हारी देह ने एक देह का नमक खाया है -अरुण कमल
SKU: VPG9388434768 -
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Aansu
आँसू –
जयशंकर प्रसाद हिन्दी साहित्य के भावुक और अनन्य कवि हैं। संवेदना उनके काव्य का प्रमुख गुण है और इसकी सूक्ष्म अभिव्यक्ति उनकी छन्दबद्ध कविता ‘आँसू’ में दृश्यमान है।
‘आँसू’ कविता का मुख्य भाव विरह-श्रृंगार है जो प्रेम की स्मृति का आकाश निर्मित करती है। यह आकाश विराट होने के साथ गहरा, कोमल और सत्य है।
जिस तरह मनुष्य जीवन में कई अभिलाषाएँ निर्मित करता है और अपनी प्रत्येक अभिलाषा को सत्य के धरातल पर लाने के लिए संघर्ष करता है, उसी तरह प्रेम भी मनुष्य जीवन की एक सुन्दर अभिलाषा है जिसे पाने के लिए मनुष्य करुण वेदना की पुकार में अपना अस्तित्व खो देता है। यह एक प्रकार की मूर्छा है और कवि ने इसी विरह भाव से कविता ‘आँसू’ द्वारा स्वयं को अभिव्यक्त किया है।SKU: VPG8126320844 -
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Abdurrahim Khanekhana : Kavya Saundarya Aur Sarthakta
अब्दुर्रहीम ख़ानेखाना (1566.1627) जैसा कवि हिन्दी में दूसरा नहीं हुआ। एक ओर तो वे शहंशाह अकबर के दरबार के नवरत्नों में थे और उनके मुख्य सिपहसालार जो अरबी, फारसी और तुर्की भाषाओं में निष्णात थे, और दूसरी ओर साधारण जन-जीवन से जुड़े सरस कवि जिनके ब्रज और अवधी में लिखे दोहे और बरवै अब भी अनेक काव्य-प्रेमियों को कण्ठस्थ हैं। रहीम लोकप्रिय तो अवश्य रहे हैं पर स्कूल में पढ़ाये उन्हीं दस-बारह दोहों के आधार पर जिनका स्वर अधिकतर नीति–परक और उपदेशात्मक है। उनके विशद और विविध काव्य-कलेवर से कम लोग ही परिचित हैं जिसमें भक्ति-भावना है तो व्यंग्य-विनोद भी, नीति है तो शृंगार भी, जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों का निचोड़ है तो अनेक भाषाओं के मिले-जुले अद्भुत प्रयोग भी। साथ ही उन्होंने विभिन्न जातियों और व्यवसायों की कामकाजी महिलाओं का जैसा सजीव व सरस वर्णन किया है वह पूरे रीतिकाल में दुर्लभ है। उनके सम्पूर्ण कवि-कर्म की ऐसी इन्द्रधनुषी छटा की इस पुस्तक में विस्तृत बानगी मिलेगी। उनके 300 से भी अधिक दोहे, बरवै, व अन्य छन्दों में रचित पद यहाँ सरल व्याख्या के साथ संकलित हैं। इसके अतिरिक्त उनकी कविता के विभिन्न पक्षों पर केन्द्रित और हिन्दी के ख्याति-लब्ध विद्वानों द्वारा लिखित ग्यारह निबन्ध भी यहाँ संयोजित हैं। जो सभी पाठकों को रहीम की कविता को समझने और सराहने की नयी दृष्टि देंगे।
SKU: VPG9389012170 -
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Abdurrahim Khanekhana Kavya Saundarya Aur Sarthakta
अब्दुर्रहीम ख़ानेखाना (1566.1627) जैसा कवि हिन्दी में दूसरा नहीं हुआ। एक ओर तो वे शहंशाह अकबर के दरबार के नवरत्नों में थे और उनके मुख्य सिपहसालार जो अरबी, फारसी और तुर्की भाषाओं में निष्णात थे, और दूसरी ओर साधारण जन-जीवन से जुड़े सरस कवि जिनके ब्रज और अवधी में लिखे दोहे और बरवै अब भी अनेक काव्य-प्रेमियों को कण्ठस्थ हैं। रहीम लोकप्रिय तो अवश्य रहे हैं पर स्कूल में पढ़ाये उन्हीं दस-बारह दोहों के आधार पर जिनका स्वर अधिकतर नीति–परक और उपदेशात्मक है। उनके विशद और विविध काव्य-कलेवर से कम लोग ही परिचित हैं जिसमें भक्ति-भावना है तो व्यंग्य-विनोद भी, नीति है तो शृंगार भी, जीवन के खट्टे-मीठे अनुभवों का निचोड़ है तो अनेक भाषाओं के मिले-जुले अद्भुत प्रयोग भी। साथ ही उन्होंने विभिन्न जातियों और व्यवसायों की कामकाजी महिलाओं का जैसा सजीव व सरस वर्णन किया है वह पूरे रीतिकाल में दुर्लभ है। उनके सम्पूर्ण कवि-कर्म की ऐसी इन्द्रधनुषी छटा की इस पुस्तक में विस्तृत बानगी मिलेगी। उनके 300 से भी अधिक दोहे, बरवै, व अन्य छन्दों में रचित पद यहाँ सरल व्याख्या के साथ संकलित हैं। इसके अतिरिक्त उनकी कविता के विभिन्न पक्षों पर केन्द्रित और हिन्दी के ख्याति-लब्ध विद्वानों द्वारा लिखित ग्यारह निबन्ध भी यहाँ संयोजित हैं। जो सभी पाठकों को रहीम की कविता को समझने और सराहने की नयी दृष्टि देंगे।
SKU: VPG9389012200 -
Poetry, Poems and Ghazals
Aise Bhi Hum Kya! Aise Bhi Tum Kya!
ऐसे भी हम क्या ! ऐसे भी तुम क्या! –
ऐसे भी हम क्या! ऐसे भी तुम क्या!
पग-पग पे मान जायें सोंधते रहें जुगत भीतर घात की
रूठ जायें पग-पग पे
क़दर नहीं करें दिन की, रात की
औरों की सिद्धि पर सिर धुनें
दूर की ढोल पर गप्प ही गप्प बुनें आज के काम टालें कल पर
पल-पल खोते चलें छिन छिन रोते चलें
तर्क ही तर्क करें सीप की चमक पर, छायामय जल पर
ऐसे भी तुम क्या!
ऐसे भी हम क्या!
– इसी पुस्तक सेSKU: VPG9350009291 -
Poetry, Poems and Ghazals
Aise Kaisi Neend
ऐसी कैसी नींद –
यह कविता संग्रह अपने-आप में एक अभिव्यक्ति है। भगवत रावत ने अपने कहन में अपने निजी पक्ष की अनदेखी नहीं की है बल्कि कहा जाये कि निजी होना कविता का स्वभाव है तो उचित होगा। इसी स्वभाव की पुष्टि इस संग्रह में की जा रही है। मन के भेद, भीतर के गीत, ख़ुद में ख़ुद को देखना, पीड़ा के प्रति दृष्टिकोण आदि कुछ ऐसी भावनाएँ हैं जो इन कविताओं में स्पष्ट रूप से दिखाई दी हैं। यह संग्रह पढ़ते हुए ऐसा प्रतीत होता है जैसे संसार जिन भावनाओं से अछूता रह जाता है वो भावनाएँ कला और साहित्य की सबसे बड़ी शक्ति होती हैं।SKU: VPG8181431394 -
Poetry, Poems and Ghazals
ALL YOU WHO SLEEP TONIGHT
Vikram Seth, one of the most famous writers of our times, is the author three novels (including A Suitable Boy and The Golden Gate, a novel in verse), that are widely regarded among the modern classics of literature–and two non-fiction works. Seven books of poetry were also published by him, including an opera libretto as well as a book of libretti. He splits his time between India and the UK.
This collection of poems showcases Vikram Seth’s amazing ability with language, his easy access to the deepest depths of feeling and his ability lighten everyday moments. He explores the different types of love–lost and remembered as well as deferred. He talks about life’s ironies and horrors, as well as regrets, in “other voices”: Mirza Ghalib, a poet; a German commander at Auschwitz; and a Hiroshima doctor after the bombing. He takes us to Garhwal, shows us the mountain dawn, and leads us through Lion Grove, Suzhou, China, as well as across the Golden Gate Bridge, which celebrates its fiftieth year. These poems are memorable for their poignant, wise, funny, and humane nature.SKU: PRK9354471117 -
Poetry, Poems and Ghazals
Anantim Maun Ke Beech
अनन्तिम मौन के बीच –
सुजाता की कविताएँ हिन्दी कविता संसार की भाषिक, वैचारिक और भौगोलिक सीमाओं का अतिक्रमण करती हुई इसके आयतन का सुखद विस्तार करती हैं। उनके पास एक सशक्त और समृद्ध भाषा है लेकिन स्त्री भाषा की तलाश में सघन जद्दोजहद भी है, पाँवों के नीचे स्त्रीवाद की एक सख़्त ज़मीन है लेकिन अपने और समाज के सन्दर्भ में उसकी सीमाओं की पहचान और नये आयामों को तलाशने का बेचैन धैर्य भी है, अपने कई पीढ़ी पुराने महाविस्थापन की पीड़ा के निशानात हैं तो महानगरीय नागरिकता को लेकर सहज गौरव का वह भाव भी जो उन्हें हिन्दी कविता में दिल्ली का स्थापित प्रतीक पलट देने का साहस प्रदान करता है। आसपास के वातावरण और रोज़मर्रा जीवन के विश्वसनीय तथा जीवन्त बिम्बों से अपना कविता संसार गढ़नेवाली सुजाता की कविताओं में पहाड़ और प्रकृति की एक सतत अभिव्यंजनात्मक उपस्थिति है, अपने उपस्थित लोक के समक्ष यह उनका एक अर्जित लोक है— एक चेतन स्त्री की दृष्टि से देखी गयी दुनिया।
वह हिन्दी के समकालीन स्त्री विमर्श के स्थापित रेटरिक को भाषा, शिल्प और विचार तीनों के स्तर पर चुनौती देती हैं और यह चुनौती नारों या शोर-शराबे के शक्ल में नहीं है बल्कि उस नागरिक के विद्रोह की तरह है जो सूट-बूट से सजे समारोह में सस्ती कमीज़ पर माँ का बुना स्वेटर पहनकर चला जाता है। वह आह-कराह के समकालीन शोर के बीच निजी दुखों को सार्वजनीन विस्तार देती हैं तो बृहत् सामाजिक-राजनीतिक आलोड़नों पर शाइस्तगी से टिप्पणी करते हुए उन्हें निजी पीड़ा के स्तर पर ले आती हैं। कविता से उनकी असन्तुष्टि कविता के मुहाविरे के भीतर है तो विमर्श के प्रचलित मुहाविरे से उनका संघर्ष विमर्श की व्यापक सैद्धान्तिक सीमाओं के भीतर नकार का नकार करते हुए। यह सतत द्वन्द्व उनकी कविताओं का केन्द्रीय स्वर है जो हिन्दी तथा विश्व कविता की परम्परा के सघन बोध की रौशनी में अपने समकाल का एक विश्वसनीय बयान दर्ज करता है और इसीलिए ये कविताएँ हमारे समय के स्त्री जीवन के आन्तरिक और बाह्य संसार की दुरूह यात्राओं के लिए आवश्यक पाथेय हैं।— अशोक कुमार पांडेयSKU: VPG9326355865 -
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Andaz Apana Apana
अन्दाज़ अपना अपना –
‘अन्दाज़ अपना अपना’ में श्री रमेश चन्द्र ने उर्दू शायरी के सदियों के सरमाये से ऐसे हीरे-मोती चुने हैं जिनकी आब-ओ-ताब कभी कम न होगी और जिनकी कशिश हमेशा दिल को खींचती रहेगी।
ये चुनिन्दा अशआर श्री रमेश चन्द्र के सुथरे मज़ाक़ और ज़िन्दगी भर के तज़रबे का निचोड़ हैं। इस आइना-खाने में मीर व ग़ालिब, मुसहफ़ी व मोमिन और दाग़ व फ़ानी से लेकर फ़ैज़ व फ़िराक़, शह्रयार व बशीर ‘बद्र’ तक सबके लहजों की गूँज सुनायी देगी। इन्तिख़ाब निहायत उम्दा और भरपूर है जिसमें ज़िन्दगी की हर झलक मिलेगी और पढ़नेवालों के लिए लुत्फ़ो-मज़े का बहुत सामान है। रमेश चन्द्र जी के ज़ौक़ो-शौक़ के पेशे-नज़र लगता है कि उनकी नज़र पूरी उर्दू शायरी पर रही है, और ज़िन्दगी के हर मोड़ पर चुभते हुए शेरों को वह जमा करते गये हैं। यूँ यह किताब एक जामे-जहाँ-नुमा बन गयी है। ज़िन्दगी, इन्सानियत, रूहानियत, सौन्दर्य, प्रेम, तसव्वुर, वतनपरस्ती, आत्म-विश्वास, मज़हब, दुनियादारी, व्यंग्य, मयक़दा हर मौज़ू पर अच्छे शेरों का ऐसा ज़ख़ीरा है कि ज़िन्दगी की हर करवट एक खुली किताब की तरह सामने आ जाती है। फूल तो बेशक बाग़ में खिलते हैं, लेकिन उनसे गुलदस्ता बनाना बाग़बान का कमाल है।—प्रस्तावना सेSKU: VPG8126310405 -
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Antasakara
अन्तसकारा –
भगतसिंह सोनी उन कवियों में हैं जो बिना किसी शोरगुल, बड़बोलेपन और नारों से दूर छत्तीसगढ़ की स्थानिकता में अपनी कविता का ठौर-ठिकाना बनाये हुए हैं। अपने आस-पास के सजीव सन्दर्भों से ऊर्जा ग्रहण करते वे दुनिया को देखते हैं जिसमें अपनी धरती का इन्दराज है और सृष्टि के लिए चिन्ताएँ। पेड़-पौधों, नदी-पहाड़, आसमान और जनसामान्य के सरोकारों के रास्ते उनकी कविता समन्दर पार के मुद्दों पर विमर्श का सूक्ष्म पर्यावरण रचती है। पर्यावरण, जलसंकट, विस्थापन, भ्रष्टाचार, आतंकवाद, बाज़ारवाद जैसे मुद्दों की तरफ़ भी भगतसिंह सोनी की निगाह है किन्तु उनकी कविता स्थानिकता के मार्ग से आगे का रास्ता बनाती है। वे कहते हैं—’मैंने केवल/ समुद्र के जल में/ आसमान को उतरता देखा/ जल के चादर में देखा/ अपने चेहरे का पानी/ रोता देखा ख़ुद को यानी/’ कहना होगा यह रोता हुआ चेहरा उस सामान्य जन का है जिसे न अपना घर मिलता है, न अपना रोज़मर्रा का भोजन ठीक से न चाहा हुआ जीवन। मिलता है बस आजीवन संघर्ष।
भगतसिंह सोनी की कविताओं में भरोसा है तो सामान्य जन में कवि में और कविता में। उनकी कवि और कविता सर्वहारा के पक्ष में अपने होने में कवि और मनुष्य को केन्द्र में देखते हैं। दुनिया को बचाने के लिए कवि परमाणु बमों के ज़खीरों की बढ़ती चुनौती की तरफ़ भी सावधान करता है, जो उनके सचेत मानस को उजागर करती है।
भगतसिंह दरअसल उन कवियों में हैं जो कविताओं में आग बचाये रखने का काम अपनी स्थानिक पक्षधरता में चुपचाप कर रहे हैं। पाठकों को यह संग्रह पसन्द आयेगा, ऐसी आशा है।SKU: VPG9326355544