chand
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Chand Pagal Hai
राहत एक अरबी लफ़्ज है। इसका एक अर्थ आराम भी है, लेकिन राहत इन्दौरी ने इस आराम को बेआराम बनाकर अपनी शायरी की बुनियादें रखी हैं। उनके यहाँ ये बेआरामी जाती कम, कायनाती ज्यादा है। उनकी इस कायनात का रकबा काफी फैला हुआ है। इसमें मुल्की ग़म भी है और मुल्क के बाहर के सितम भी हैं। ऐसा नहीं है कि उनकी अपनी बातों से उनकी ग़ज़ल यहीं तक सीमित नहीं है। उनकी होशमंदी ने उन्हें जीते-जागते समाज का एक सदस्य बनाकर इस सीमित दायरे को फैलाया भी है और शायरी को अपने सामय का आईना भी बनाया है। इस आईने में जो परछाइयाँ चलती-फिरती नज़र आती हैं, वो ऐसा इतिहास रचती महसूस होती हैं, जो सामाजिक उतार-चढ़ाव में शरीक होकर आम लफ़्जों में ढली हैं। राहत इन्दौरी इतिहास को अपी ग़ज़लों के माध्यम से स्टेज पर अपनी ड्रामाई प्रस्तुति से सुनाते भी हैं और श्रोताओं को चौंकाते भी हैं।
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Ujla Ujla Poora Chand
निदा फ़ाज़ली सही मायनों में अवाम के शायर हैं। उनकी शायरी में जो फ़कीराना ठाठ है, वो ठाठ उनके अन्दर के लोककवि की संवेदना को भी महसूस कराता है। यह शे’र वही शायर कह सकता है, लोककवि जिसकी रचनाशीलता में हो- दो और दो का जोड़ हमेशा चार कहाँ होता है सोच-समझ वालों को थोड़ी नादानी दे मौला! निदा फ़ाजली की शायरी में भारतीय जनमानस के सुख-दुख बसते हैं। निदा फ़ाज़ली की शायरी से गुज़रना लोकजीवन, दीन-दुनिया, स्मृतियों और नये-पुराने समय से गुफ़्तगू करने जैसा है। निदा ऐसे बड़े शायर हैं जो अपनी शायरी में ज़िन्दगी के वैभव को रचते हैं। यह किताब निदा फ़ाज़ली की शायरी का महकता हुआ, ताज़ादम और सर्वश्रेष्ठ गुलदस्ता है।
SKU: VPG9387330887