chetna
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Research (शोध)
ब्राह्मणवादी परम्परा एवं सामाजिक चेतना (Brahmanvadi Parampara Avm Samajik Chetna)
लिखते तो बहुत है, किन्तु नयी बात क्या है, नय प्रगतिशील लोग यही खोजते हैं। इसमें नया ही सब कुछ है, परम्परागत आगोश की समीक्षा के साथ । स्वतन्त्र भारत तथा सम्पूर्ण मानव जाति का बदला हुआ समन्धित सुनाजिक दर्शन सामाजिक विभाजन की बातें जानना भी नहीं चाहता. उसमें नव प्रगतिकाल की सामाजिक चेतना ने सामाजिक संयोजन का मानवीय बीज अंकुरित कर दिया है। एकजुट समरस सर्वमानव-कल्याणकारी नय प्रगति, नय विकास और सर्व विजय के लिए मानवता की कहानी गढ़ने की प्रतियोगिता चल पड़ी है । केवल भौतिक प्रजातन्त्र के सहारे चलने से कोई भी मंजिल मिलनेवाली नहीं है. बिना अध्यात्मोन्मुख भौतिक समाजवादी प्रजातन्त्र को टकराव, संघर्ष, आतंक, उग्रता, नर संहार, ध्वस-क्रीडा, क्षुद्र स्वार्थ, आयोग्य महत्वकाक्षा की पूर्ति आदि की अमानवीय जनतन्त्र का रूप धरकर नय प्रगतिकालीन नूतन सामाजिक चेतना से उत्पन्न अध्यात्मोन्मुख भौतिक समाजवादी प्रजातन्त्र में ब्रह्मणवादी अमानवीय परम्पराएं टूटती है. सामाजिक परिवर्तन होते हैं, नितनूतन प्रयोग होते रहते हैं और सम्पूर्ण मानव-जाति की एकजुट समरस नय प्रगति निरन्तर होती रहती है। अब प्रश्न है कि आखिर उस भौतिक समाजवादी प्रजातन्त्र का व्यावहारिक स्वरूप क्या हो ? आत्मा के बिना मृताषित शरीर कर ही क्या कर सकता है। मानवता को बिना मानद भी क्या कर सकता है? अध्यात्मोन्मुख हुए दिना भौतिक से भी क्या हो सकता है?
पृष्ठभूमि और विधार विश्लेषण में उस रचना के प्रेरणा-स्रोत है। ब्राह्ममण का परम्परागत एव्म आधुनिक मूल्याकन करने के लिए ब्राह्ममणवाद पर भी विचार मंथन हुआ है -1 वर्ण-व्यवस्था, आश्रम-व्यवस्था, पुरूसार्थ, कर्मवाद, संस्कार, व्यक्ति, परिवार और समाज की नवीन अवधारणा उपस्थित हुई है। संस्कृति एवम सत्यता. नारी एयम मानवता के विश्लेषण में सामाजिक सोच की नव दृष्टि बहुत सारे बन्द द्वार खोल देती है। जाति, जातिवाद, जातीयता बनाम मानव, मानववाद, मानवता का विश्लेषण भी बहुत नयी बातें कहता है । चिन्तन-परिणाम में बिल्कुल नवीन अध्यात्मोन्मुख भौतिक सामाजवादी प्रजातन्त्र की अवधारणा को स्पष्ट करते हुए व्यक्ति माह और सामाजिक विवेक का विश्लेषण भी एक नवीन दृष्टिबोध ही है। लेखक के विचार-मंथन ने मौलिक चिन्तन परम्परा का सूत्रपात करते हुए ब्राह्मणवादी परम्परा एवम सामाजिक चेतना के द्वारा नवीन सामाजिक संस्कार को जन्म दिया है. जिससे नयी पीढ़ी को बहुत कुछ प्राप्त हो सकता है।
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