प्रस्तुत पुस्तक में बिहार प्रदेश से जुड़ी महिलाओं के किये योगदान को आर्य वाली पीढ़ी के समक्ष रखने का हमारा यह एक प्रयास मात्र है। बिहार की महिलाओं के ऐसे नामों को संकलित किया है जो जन्म से ही बिहारी हैं या जिन्होंने अपना कार्यक्षेत्र बिहार को ही बनाया और यहीं की होकर रह गई। यह एक स्वीकार्य तथ्य है कि कई महिलाओं की प्रतिभा बिहार की परिसीमा से बाहर राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित हुई और ये अपने ही प्रदेश में विस्मृत हो चुकी हैं। कई महिलाओं के योगदान को विस्तृत जानकारी दी गई है तो अन्य को अति सक्षिप्त।
प्रबुद्ध महिलाएं (Prabudh mahilayen)
प्रस्तुत पुस्तक में बिहार प्रदेश से जुड़ी महिलाओं के किये योगदान को आर्य वाली पीढ़ी के समक्ष रखने का हमारा यह एक प्रयास मात्र है। बिहार की महिलाओं के ऐसे नामों को संकलित किया है जो जन्म से ही बिहारी हैं या जिन्होंने अपना कार्यक्षेत्र बिहार को ही बनाया और यहीं की होकर रह गई। यह एक स्वीकार्य तथ्य है कि कई महिलाओं की प्रतिभा बिहार की परिसीमा से बाहर राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित हुई और ये अपने ही प्रदेश में विस्मृत हो चुकी हैं। कई महिलाओं के योगदान को विस्तृत जानकारी दी गई है तो अन्य को अति सक्षिप्त।
आज के संदर्भ में हम इंदिरा गाँधी को देश की सुरक्षा के लिए किये गये बलिदान को कैसे विस्मृत कर सकते हैं। वि लक्ष्मी पंडित, सरोजिनी नायडू पंडिताबाई सोनारियों के प्रति श्रद्धा से नतमस्तक होते हैं। भागलपुर में जन्मी कादम्बिनी वसु (1862-1923) पहली स्नातक, महिला डॉक्टर, स्वतंत्रता सेनानी, महिलाओं के लिए आवाज उठाने वाली ब्रिटिश साम्राज्य के समय की थीं।
इतिहास गवाह है कि महिलाओं ने समय-समय पर देश के प्रशासन, शिक्षा, राजनीति, सुरक्षा, चिकित्सा, मीडिया, संचार, दूरदर्शन, सिनेमा, विज्ञान, साहित्य, कला, संगीत, नृत्य आदि विभिन्न क्षेत्रों में परिवर्तन के दूत बनकर महत्वपूर्ण योगदान दिये है। अतीत में महिलायें ज्यादा प्रयोग सशक्त, कलावती और और होती थीं। मी को रानी लक्ष्मी बाई, ताराबाई पाती और रजिया मुल्तान ने शत्रुओं को रणक्षेत्र में पड़ा। आदि शंकराचार्य से शास्त्रार्थ में मिथिला के महापडित मंडन मिश्र जय पराजित होने लगे तब उनको विदूषी पत्नी उमया भारती ने मोर्चा संभाला।
₹284.00 ₹335.00
Binding | Paperback |
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ISBN | 9788194816614 |
Language | Hindi ( हिंदी ) |
Pages | 197 |
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