कन्नड़ की समकालीन कहानियाँ –
आधुनिक कन्नड़ साहित्य में कहानी विधा सबसे अधिक लोकप्रिय है। कन्नड़ कहानियों में दार्शनिकता, देशभक्ति, ऐतिहासिकता, ग्रामीण जीवन के चित्र, मनोवैज्ञानिक विश्लेषण, पारिवारिक चित्रण आदि तत्वों का बड़ा ही सुन्दर समावेश हुआ है। कहानी के वस्तुविधान तथा शिल्पविधान की दृष्टि से कन्नड़ कहानियों में विकासक्रम का स्पष्ट परिचय मिलता है।
आधुनिक कन्नड़ साहित्य में राष्ट्रीयता के मुखर स्वर के साथ समाजसुधार तथा दलित जातियों के उद्धार की भावना ज़ोर पकड़ने लगती है। तत्कालीन प्रगतिशील साहित्यकारों ने प्रधानतः समाज की दुर्व्यवस्था की समस्या को मार्क्सवादी विचारधारा के आधार पर हल करने का प्रयत्न किया। इस प्रकार विविध विचारधाराओं के लेखकों ने समकालीन कन्नड़ कथा साहित्य को समृद्ध किया है।
संग्रह की कहानियाँ समकालीन कन्नड़ समाज की भीतरी तह तक ले जाकर उसकी सूक्ष्मता से हमारा परिचय और समकालीन परिदृश्य को रेखांकित करती हैं। सर्वथा एक पठनीय संग्रह।
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अनुवादक – लवलीन जॉली –
जन्म: 24 अगस्त, 1940, लायलपुर (पश्चिम पंजाब) पाकिस्तान।
गुरु नानक हाई स्कूल, राँची में उपप्रधानाचार्य रहीं। हागॉन-पीपुआ न्युगिनी में बतौर वरिष्ठ शिक्षिका दो वर्षों तक अध्यापन। अंग्रेज़ी, कन्नड़ और पंजाबी से हिन्दी में अनुवाद में निरन्तर संलग्न। विभिन्न संस्थाओं के लिए तकनीकी शब्दों का पंजाबी में अनुवाद।
वर्ष 1995 में कन्नड़ उपन्यास ‘दुर्गास्थामना’ का पंजाबी अनुवाद के लिए साहित्य अकादेमी पुरस्कार। कर्नाटक अनुवाद अकादमी, बंगलौर का लाइफ़टाइम एचीवमेंट अवार्ड, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडियन लैंगुएजेज़ द्वारा भाषा-भारती सम्मान। इंग्लैंड, जर्मनी, फ्रांस, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, थाईलैंड, फिलिपिंस, नेपाल, जापान आदि देशों की साहित्यिक-सांस्कृतिक यात्राएँ।
दर्जनों पुस्तकों एवं शताधिक साहित्यिक रचनाओं का अनुवाद प्रकाशित-प्रशंसित।
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