This book tells the story in three Acts of one of the most important episodes of ShrimadBhagvatam’s ShrimadBhagvatam: the birth of Lord Krishna. It tells the story of King Kamsa’s atrocities and his fall from grace, and his death at the hands of Krishna. Act 1 begins with Krishna’s tragic fate and the imprisonment of Vasudeva and Devaki. Act two is a joyful account of Krishna’s childhood and his divine relationship with the Gopis. Act three is the culmination and death of Kamsa.
Krishna Hari
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Hindi Novels and Litrature
Dilli Mein Uninde
0 out of 5(0)इस पृथ्वी के एक जीव के नाते मेरे पास ठोस की जकड़ है और वायवीय की माया । नींद है और जाग है। सोये हुए लोग जागते हैं। जागते हुए लोग सोने जाते हैं। लेकिन कुछ ऐसे भी हैं—जो न इधर हैं, न उधर । वे प्रायः नींद से बाहर और स्वप्न के भीतर होते हैं। उनींदे…मैंने स्वयं को अकसर यहीं पाया है… क्या यह मैं हूँ? कविताओं वाली मैं? मैं नहीं जानती। इतना जानती हूँ, जब कविता लिखती हूँ, गहरे जल में होती हैं और तैरना नहीं आता। किस हाल में कौन किनारे पहुँचूँगी-बचूँगी या नहीं-सब अस्पष्ट रहता है। किसी अदृश्य के हाथों में। लेकिन गद्य लिखते हुए मैंने स्वयं को किनारे पर खड़े हुए। पाया है। मैं जो बच गयी हूँ, जो जल से बाहर आ गयी हूँ… गगन गिल की ये गद्य रचनाएँ एक ठोस वस्तुजगत संसार को, अपने भीतर की छायाओं में पकड़ना है। यथार्थ की चेतना और स्मृति का संसार-इन दो पाटों के बीच बहती हुई अनुभव-धारा जो कुछ किनारे पर छोड़ जाती है, गगन गिल उसे बड़े जतन से समेट कर अपनी रचनाओं में लाती हैं-मोती, पत्थर, जलजीव-जो भी उनके हाथ का स्पर्श पाता है, जग उठता है। यह एक कवि का स्वप्निल गद्य न होकर गद्य के भीतर से उसकी काव्यात्मक सम्भावनाओं को उजागर करना है… कविता की आँच में तप कर गगन गिल की ये गद्य रचनाएँ एक अजीब तरह की ऊष्मा और ऐन्द्रिक स्वप्नमयता प्राप्त करती हैं।
SKU: VPG9387155886₹371.00₹495.00 -
Hindi Novels and Litrature
Hindi Vyakaran Ke Naveen Kshitij
0 out of 5(0)हिन्दी व्याकरण के नवीन क्षितिज –
‘व्याकरण’ अपने प्रकट स्वरूप में एककालिक (स्थिरवत् प्रतीयमान) भाषा का विश्लेषण है, जो भाषाकृति-परक है। किन्तु, वह पूर्णता व संगति तभी पाता है जब ऐतिहासिक-तुलनात्मक भाषावैज्ञानिक प्रक्रियाओं तथा अर्थ विचार की धारणाओं के भीतर से निकल कर आये। यह बात कारक, काल, वाच्य, समास जैसी संकल्पनाओं के साथ विशेषतः और पूरे व्याकरण पर सामान्यतः लागू होती है। फिर भी, व्याकरण है तो प्रधानतः आकृतिपरक अवधारणा ही।
हिन्दी व्याकरण-पुस्तकों के निर्माण की अब तक जो लोकप्रिय शैली रही है, वह अंग्रेज़ी ग्रैमर से अभिभूत रहे पण्डित कामताप्रसाद गुरु के प्रभामण्डल से बाहर निकलकर, कुछ नया सोचने में असमर्थ रही है। वैसे पण्डित किशोरीदास वाजपेयी और उनके भी पूर्वज पण्डित रामावतार शर्मा ने हिन्दी व्याकरण को अधिक स्वस्थ और तर्कसंगत पथ प्रदान करने के अथक प्रयत्न किये, किन्तु उस पथ पर चलना लेखक को रास नहीं आया। लेखक का स्पष्ट विचार है कि हिन्दी भाषा को उसके मूल विकास-परिवेश [वेदभाषा-पालि-प्राकृत-अपभ्रंश-अवहट्ट-हिन्दी] में समझना चाहिए; हिन्दी भाषा के विश्लेषण को भी भारतीय भाषा दर्शन का संवादी होना चाहिए।
‘हिन्दी व्याकरण के नवीन क्षितिज’ पुस्तक का लेखक भारतीय भाषा दर्शन से उपलब्ध व्याकरणिक संकल्पनाओं पद, प्रकृति, प्रातिपदिक, धातु, प्रत्यय, विभक्ति, कारक, काल, समास, सन्धि, उपसर्ग आदि को मूलार्थ में हिन्दी व्याकरण में विनियुक्त या अन्वेषित करने को प्रतिबद्ध रहा है।
इस विषय पर हिन्दी में अब तक प्रकाशित पुस्तकों में विशेष महत्त्वपूर्ण एवं उपयोगी कृति।SKU: VPG8126340859₹337.00₹450.00 -
Hindi Novels and Litrature
मेरी स्वरसुन्दरी (Meri Swarsundari)
0 out of 5(0)स कहानी में नायक अपने प्यार की खातिर हर मोड़ पर, हर कदम पर समीक्षा करते रहता है। सिर्फ और सिर्फ अपनी नाईका को खुश करने के लिए, खुश रखने के लिये और उसे खोने के डर से। और वह हसीना अपनी और कयामत सी हुस्न के सुरूर में कुछ इस कदर मगरूर थी कि जैसे मतवाले हावी अपने मद में चूर हो और तालाब में खिले कोमल से भी कोमल कमल फूलों को रौंदते चले जाता है। ठीक उसी तरह से ये भी हमारे हृदय से निकलती मेरी कोमल भावनाओं को बिना थोड़ा सा भी सोचे जब-जब दिल किया उन्हें अपने अभिमान की जीद से कुचलती चली गई और जब की रहम तो….
मेरा नाम कार्तिक तिवारी है और मेरे दिल की शहजादी ईश्क की शान श्रृंगार का नाम तैजसी पान्डेय है। मैं छत पर बैठ अपने किस्मत को कोश रहा हूँ और तैजसी के केशुओं की किस्मत पर जल रहा हूँ। उसे सिर्फ देख सकता हूँ बात नहीं कर सकता हूँ। छू लेने की तो उसे स्वाल ही नहीं उठता। और वह छत पर अपनी भिंगी हुई जुल्फों को सैंवार रही है, सुलझा रही है, बड़े प्यार से लेके अपने हाथों में खुले भिंगे वालों में उसकी खुबसूरती किसी कयामत से कम नहीं लग रही है। और उसकी जुल्फे हर बार उसके चेहरे कंधे, कमर पर बिखर कर मुझे जलाने के नियत से उसके कोमल अंगों को बार-बार चुम रही है। और जब उन केशुओं को सच में लगता है कि उनकी इस बेपनाह किस्मत पर जलने वाला लड़का कार्तिक तिवारी जल रहा है तो वो जुल्फे बड़े मगरूर अंदाज में कार्तिक तिवारी से कहती है-
तु तड़प-तड़प के तरस मेरे इस बेपनाह किस्मत पर, और जरा गौर से देख लशकर ठहरा है मेरा उसके लाल गालो पर, रोज सैंवारती हैं मुझे बड़े प्यार से ले कर अपने हाथों में, फिर मैं बिखर कर उसके कंधों कमर पर लहरा के चूम लेता हूँ उसके लाल होठों को।
SKU: JPPAT98328₹276.00₹325.00
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