My food experiences have culminated in this book. Anecdotes and tips from aaji, aai and farmer markets around the world, Chef Kapoor’s pearls, wisdom and knowledge from the internet, as well as my intuition and many years of cooking. My best kitchen experiments and traditional Maharashtrian dishes were also included. As I was compiling, tasting and evaluating the recipes, and jotting down the stories, I also rediscovered my favorite sights, sounds, and smells in my kitchen. You now have an exclusive access to my kitchen. I guarantee that you will feel the same love, joy, and satisfaction as I felt. I want you to feel the magic of local ingredients such as alsandes, aluche and aluche patate, the spicy hit in coconutty seafood curries, and the inciting aromas from a magnificent dum biryani. And of course, the comfort found in every morsel in varan-bhaat. I hope you enjoy each page of “My Romance with Food” as much as I enjoyed creating it for you. — Roopa Nabar
My Romance with Food : Varan Bhaat to Biryani
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Man’s Search For Meaning
0 out of 5(0)Basically this book is mentioned what is the meaning of man and focus on how create suicide and depression. However contribution to psychiatry was quite different and handle many honors achievement includes. How to save human and his nature Logo therapy system in used our life and save human mind and human nature. This book is based on save the Human mind and Human nature. How you can apply and direct the power of your subconscious mind to achieve all your goals and dreams. The Power of Your Subconscious Mind has inspired millions of readers to unlock the unseen forces and invisible power within them.
SKU: PRK1846041242₹224.00₹299.00 -
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Ajneya Rachanawali (Volume-4)
0 out of 5(0)अज्ञेय रचनावली-4
अज्ञेय एक ऐसे विलक्षण और विदग्ध रचनाकार हैं, जिन्होंने भारतीय भाषा और साहित्य को भारतीय आधुनिकता और प्रयोगधर्मिता से सम्पन्न किया है: तथा बीसवीं सदी की मूलभूत अवधारणा ‘स्वतन्त्रता’ को अपने सृजन और चिन्तन में केन्द्रीय स्थान दिया है। उनकी यह भारतीय आधुनिकता उन्हें न सिर्फ़ हिन्दी, बल्कि समूचे भारतीय साहित्य का एक ‘क्लासिक’ बनाती है। विद्रोही और प्रश्नाकुल रचनाकार अज्ञेय ने कविता, उपन्यास, कहानी, निबन्ध, नाटक, आलोचना, डायरी, यात्रा वृत्तान्त, संस्मरण, सम्पादन, अनुवाद, व्यस्थापन, पत्रकारिता आदि विधाओं में लेखन किया है। उनके क्रान्तिकारी चिन्तन ने प्रयोगवाद, नयी कविता और समकालीन सृजन में निरन्तर नये प्रयोगों से नये सृजन के प्रतिमान निर्मित किये हैं। जड़ीभूत एवं रूढ़ जीवन-मूल्यों से खुला विद्रोह करते हुए इस साधक ने जिन नयी राहों का अन्वेषण किया, वे असहमति और विरोध का मुद्दा भी बनीं, लेकिन आज स्थिति यह है कि अज्ञेय को ठीक से समझे बिना नयी पीढ़ी के रचनाकर्म के संकट का आकलन करना ही मुश्किल है।
‘अज्ञेय रचनावली’ में अज्ञेय का तमाम क्षेत्रों में किया गया विपुल लेखन पहली बार एक जगह समग्र रूप में संकलित है। अज्ञेय जन्म-शताब्दी के इस ऐतिहासिक अवसर पर हिन्दी के मर्मज्ञ और प्रसिद्ध आलोचक प्रो. कृष्णदत्त पालीवाल के सम्पादन में यह कार्य विधिवत सम्पन्न हुआ। आशा है, हिन्दी साहित्य के शोधार्थियों एवं अध्येताओं के लिए अज्ञेय की सम्पूर्ण रचना सामग्री एक ही जगह एक साथ उपलब्ध हो सकेगी।SKU: VPG8126320950₹600.00₹800.00 -
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Adwaitka Upanishad
0 out of 5(0)अद्वैतका उपनिषद् –
आद्य शंकराचार्य भारत को और वैदिक परम्परा को प्राप्त हुआ दिव्य व्यक्तित्व है। गीता में कहा गया है कि जब धर्म की ग्लानि होती है तब मुक्त पुरुष को अवतार लेना पड़ता है। परन्तु भारत में 6-7वें शतक में देवत्व के समकक्ष विद्वान सन्त ने जीवन के पच्चीसवें वर्ष में वैदिक धर्मग्लानि हटाकर नव उत्साह से भारत में वैदिक धर्म की संस्थापना की और यह कार्य आगे अखण्डित और सामर्थ्य से चलता रहे, इस दूरदृष्टि से चार मठों की चार दिशाओं में स्थापना की। इसका परिणाम इतना सशक्त था कि आज तक वह सनातन वैदिक परम्परा हिन्दू नाम से दृढ़मूल है। और दिन-प्रतिदिन बढ़ रही है। आद्य शंकराचार्य जैसा बुद्धितेजस्वी महात्मा, प्रगल्भ विचारक, पन्थसमन्वय महर्षि इस भारत में होना और हिन्दू धर्म को प्राप्त होना, यह इस देश का और धर्म का उच्चतम पुण्यफल ही है। अवैदिक सम्प्रदायों का निरसन कर वैदिक सम्प्रदाय में समन्वय स्थापित कर उन्होंने सर्व सम्प्रदायों की परस्पर द्वेष व मत्सरवादी विचारधारा को समाप्त कर दिया। ‘अद्वैत सिद्धान्त’ की स्थापना करके तथा अपने सर्व देवताओं का गुणगान करने वाले अनेक स्तोत्रों के माध्यम से पुनः अद्वैत का सन्देश देते हुए ‘भक्तिमार्ग’ की बैठक दृढ़मूल की।
मराठी की प्रसिद्ध उपन्यासकार शुभांगी भडभडे ने अपने अमृत महोत्सव वर्ष में हिन्दू धर्म के लिए अमृत रूप महान तत्त्ववेत्ता आद्य शंकराचार्य को अपने उपन्यास का नायक चुना, यह सचमुच रत्नकांचन योग है।
शुभांगी भडभडे ने आद्य शंकराचार्य को साधारण मराठी पाठकों तक पहुँचाने की अपनी प्रतिज्ञा सफलता से पूरी की है। मराठी में रचित उपन्यास का इस हिन्दी अनुवाद को अनेक पाठक मिलें, यही आशा है।SKU: VPG9387919976₹712.00₹950.00 -
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Achchha To Tum Yahan Ho
0 out of 5(0)अच्छा तो तुम यहाँ हो –
राजेन्द्र क़रीने के कथाकार हैं। जन और जीवन से उन्हें गहरा लगाव है और वे कहानियों का ‘कंटेंट’ इर्द-गिर्द घट रही घटनाओं में तलाशते हैं। उनकी क़लम बदी की मुख़ालिफ़ और नेकी की हिमायती है। मानवीय रिश्तों और मनुष्यत्व की गरिमा में उनका गहरा यक़ीन है। लोक के वृत्त में रहते हुए चीज़ों का सन्धान करने की कला उनके पास है और उनका यह हुनर उनकी कहानियों में बख़ूबी झलकता है। चाहे ‘अच्छा तो तुम यहाँ हो’ के स्त्री-पुरुष हों या ‘जयहिन्द’ के कलेक्टर या कमांडर अथवा ‘पाइपर माउस’ का नायक चूहा, वे हमें बेहद अपने लगते हैं, हमारे अपने बीच के परिचित और जाने-पहचाने।
राजेन्द्र घटनाओं और संवादों की लटों से कहानी को बहुत जतन से गूँथते हैं। उनकी भाषा उनका साथ देती है। वे कहीं लड़खड़ाते नहीं और न ही हड़बड़ी में भागते दीखते हैं। सधी हुई चाल, न प्रकम्प, न उतावलापन। वे तनाव और लगाव दोनों को बहुत सलीके से व्यक्त करते हैं। वे अपनी ओर से नहीं बोलते, बल्कि वाक़ये और किरदार बोलते हैं। उनके पात्र पाठक को अपने साथ-साथ देर और दूर तलक ले चलने की क़ुव्वत रखते हैं। यही नहीं, इस यात्रा के बाद पाठक के लिए उन्हें भूल पाना मुमकिन नहीं हो पाता।
राजेन्द्र शब्दों को विचारों की मद्धिम आँच में पकाते हैं। वे रिश्तों की सान्द्रता को चीन्हते हैं और क़लम से रिश्तों की देह में धँसी किरचों को बीनते हैं। उनकी कथायात्रा हताशा, नैराश्य, अवसाद अथवा पलायन के साथ समाप्त नहीं होती, वह साहसपूर्वक आगे की यात्रा की भूमिका रचती है। राजेन्द्र यथार्थ से मुठभेड़ के साहसी और चेतस कथाकार हैं और समाज और व्यवस्था के खोट और खुरंट को उजागर करने से नहीं चूकते। वे चुहल भी करते हैं और तंज़ भी कसते हैं। इन लम्बी कहानियों में वे कहीं भी शिथिलता या स्फीति के शिकार नहीं होते। आज के समय की ये कहानियाँ समकालीन कथा जगत को समृद्ध करती हैं।——डॉ. सुधीर सक्सेनाSKU: VPG9326355698₹165.00₹220.00
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