Purvaj (Tatv Ki Khoj, Atit Ki Jhalak, Aatmgyan) पूर्वज (तत्व की खोज, अतीत की झलक, आत्मज्ञान)
यह धार्मिक ग्रंथ "पूर्वज कई सुप्रसिद्ध पुराने ग्रंथों के सार से पिरोया हुआ एक खूबसूरत माला है जो हमें सहस्रों वर्ष पूर्व के हमारे पूर्वजों के जीवन स्तर अध्यात्मिक, मानसिक और शारीरिक क्षमता, स्त्री साम्राज्य, अभिमान मर्यादा के लिए संघर्ष, अदृश्य चीजों पर मोक्ष के लिए अटूट विश्वास इत्यादि की जीवत झलक दिखाता है साथ ही साथ उनकी चारित्रिक दुर्बलताएं, यूत का दुष्प्रभाव वर्ण-व्यवस्था के अनुसार वैश्य एवं शूद्ध का लगातार शोषण नियोग-विधि जैसे पशु धर्म का पालन नरबलितीगंगा-प्रवाह का जैसी भी अवगत कराता है जिसने पूरे हिन्दू समुदाय को झकझोर कर रख दिया। यह ग्रंथ माननीय रजनीकांत शास्त्री द्वारा लिखित 'हिन्दू जाति का उत्थान और पतन' के प्रमुख अंश एवं अन्य माननीय लेखकों द्वारा लिखित अन्यान्य ग्रंथों, जिनका विस्तृत नाम इस ग्रंथ के अंतिम पृष्ठ पर अंकित है. का सहयोग प्राप्त कर वैसे हिन्दू भाईयों के धूमिल आइने रूपी सोंच को आडम्बरमुक्त जीवन व्यतीत करने हेतु तथ्यात्मक दृष्टांत के साथ, विश्लेषण किया गया है। इतना ही नहीं यह पुस्तक मात्र सहयोगी लेखकों की भावना का श्रद्धापूर्वक सम्मान के साथ उजागर करने के ही ख्याल से लिखी गई है।
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Pages : | 153 |
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