मध्यकालीन बिहार (1707-1765 ई० ) Madhyakalin Bihar (1707-1765 AD)
वर्षों में इतिहास सहित समाजशास्त्र के सभी विषयों में क्षेत्र बढ़ा है। इसी कड़ी मे'मध्यकालीन बिहार एक सफल एवं शोध-पूर्व अध्ययन है। प्राचीन बिहार का इतिहास बढ़ा ही भय एवं समृद्ध रह गौरवशाली मगध साम्राज्य यहीं फलाफूला और मौधों के समय तो यह क्षेत्र सम्पूर्ण का राजनीतिक केन्द्र ही बन गया था। गुप्त सम्राटों से लेकर पाल शासकों तक बिहार की गरिमा बनी रही । मध्यकाल में उस गरिमा का ह्रास होना आरम्भ हुआ। अफगान शासक शेरशाह ने बिहार के प्राचीन महत्त्व को पुनस्थापित करने का बहुत हद तक प्रयास किया। महान् मुगलों ने भी इस की महत्ता को नजरअंदाज नहीं किया और अपने श्रेष्ठ प्रशासकों अथवा शाहजादों को बिहार का सूबेदार नियुक्त किया । किन्तु. औरंगजेब की मृत्यु के बाद बिहार की स्थिति में चौमुखी गिरावट आई। राजनीति, प्रशासन, धर्म और समाज सभी क्षेत्रों में यह गिरावट परिलक्षित होती है। इसी संक्रमण काल का लाभ उठाकर अँग्रेजों ने बिहार और बंगाल को केन्द्र बना कर सम्पूर्ण भारत में अपनी सम्प्रभुता स्थापित कर ली ।
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