


गाँधी जी के मार्मिक पत्राचार (Gandhi jee Ke Marmik Patrachar )
रोचक ढंग से लिखी गई यह पुस्तक मुजफ्फरपुर जिले के स्वाधीनता आन्दोलन का इतिहास भी है। जनकधारी बाबू ने ही 1916 में 'मुजफ्फरपुर जिला होम रूल लीग' की स्थापना की तथा वे इसके मंत्री के रूप में कार्य करते रहे। चम्पारण में निलहे साहबों के अत्याचारों से पीड़ित किसानों की मुक्ति के लिए महात्मा गाँधी ने जब संघर्ष छेड़ा तो जनकधारी बाबू ने तत्परता से इसमें भाग लिया। इनकी पुस्तक में इस संघर्ष का संजीव और रोमांचकारी वर्णन है। 1920 ई में इन्होंने ही गण्यमान्य व्यक्तियों की सभा बुलाकर 'मुजफ्फरपुर जिला काँग्रेस कमिटी की स्थापना की थी। आरंभ से लगातार पन्द्रह वर्षों की लम्बी अवधि तक वे जिला काँग्रेस कमिटी के मंत्री पद का उत्तरदायित्व सम्हालते रहे। असहयोग आन्दोलन में इन्होंने अपनी चलती वकालत छोड़ दी। अनेक प्रकार की कठिन परिस्थितियों का सामना करते हुए जनकधारी बाबू स्वाधीनता आंदोलन में बराबर अपना महत्त्वपूर्ण योगदान देते रहे। आशा है पाठक को यह पुस्तक पसंद आएगी और इससे वे लाभान्वित भी होंगे।
₹ 159 ₹199
199


Pages : | 153 |
Made In : | India |