हिन्दू नैतिक दर्शन में कर्म एवं मोक्ष (Hindu Naitik Darshan Mein Karm Avm Moksh)
प्रथम में अपना सहृदय आभार आदरणीय परम पूज्य गुरूवर डा रंगनाथ विद्यालय प्राध्यापक, पटना विश्वविद्यालय के प्रति प्रगट करता हूँ, जिन्होनें मुझे विषय पर शोध कराकर ग्रंथ का प्रारूप देने के लिए प्रेरित ही नहीं बल्कि कदम पर हमें भरपूर सहयोग भी दिये हैं। मैं समझता हूँ कि बगैर इनके सहयोग के प्रसाद ऐसे यद हो यह ग्रंथ पूर्ण हो पाता। का मैं पटना विश्वविद्यालय स्नातकोत्तर दर्शनशास्त्र विभाग के पूर्व अध्यक्ष डा रमेश सिन्हा, डा इन्द्राशरण, डा शत्रुघन झा, डा माधुरी देवी, बी एन कॉलेज के विभागाध्यक्ष डा रविन्द्र कुमार, पटना कॉलेज के अध्यक्ष डा रमेन्द्र नाथ का मैं सहृदय से आभारी हूँ क्योंकि इनलोगो का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से इस ग्रंथ को पूर्ण करने में मदद मिलती रही हैं। पटना विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र के वरीय शिक्षक एवं पूर्व कुलपति डा रमाशंकर आर्य, डा विजया श्री, दर्शनशास्त्र के विद्वान डा० नरेश प्रसाद तिवारी का मैं अभारी हूँ। इनलोगो का सरल स्वभाव ने मुझे प्रेरित कर इस पुस्तक का सही प्रारूप तैयार करने में अपना योगदान दिया है। इसके अलावा अन्य विश्वविद्यालयों के शिक्षकों ने भी इस पुस्तक में अमूल्य योगदान प्रदान कर इस ग्रंथ को सुन्दर एवं सुव्यवस्थित बनाने का सहयोग प्रदान किये हैं। 1-मगध विश्वविद्यालय के अन्तर्गत श्री रामकृष्ण द्वारिका कॉलेज के अध्यक्ष डा ब्रजेश्वर जैसे- प्रसाद सिंह, टी पी एस कॉलेज के अध्यक्ष डा ललिता यादव, ए एन कॉलेज के दर्शनशास्त्र के शिक्षक डा शैलेश कुमार सिंह, तान्या मुखर्जी, किसान कॉलेज बिहार शरीफ दर्शनशात्र के शिक्षक डा श्यामल किशोर, वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के पूर्वाध्यक्ष डा० दशरथ सिंह, वर्तमान अध्यक्ष डा महेश सिंह मिथिला विश्वविद्यालय के दर्शनशास्त्र के पूर्वाध्यक्ष डा के पी वर्मा, वर्तमान अध्यक्ष आचार्य डा डी एन तिवारी, बिहार विश्व विद्यालय के अध्यक्ष डा सचिन्द्र सिंह एवं वीर कुंवर सिंह विश्वविद्यालय के प्राचीन इतिहस एवं पुरातत्व विभाग के अध्यक्ष डा विमल कुमार मिश्रा जी का भी मैं आभारी हूँ पूजनीय माता-पिता तथा सभी अग्रजो के प्रति कृतज्ञता प्रदर्शित करना आवश्यक कर्त्तव्य समझता हूँ जिनके आशीर्वाद और कृपा के कारण हो यह ग्रंथ पूर्ण हो सका है मैं उन सभी विद्वानों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ जिनको कृतियों ग्रंथ में सहायक रही है। ग्रंथ के मूल भाग या पाद में इनके स्थान ससम्मान उल्लेख है हायक ग्रंथ सूची तत्संबंधी पूर्ण प्रविष्टियाँ है।
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Pages : | 153 |
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