बिहार स्थानीय इतिहास एवं परम्परा (श्री रामवृत्त सिंह अभिनन्दन ग्रंथ ) Bihar Sthaniya Itihaas Avm Parampara (Shree Rambvreet Singh Abhinandan Granth)
बिहार : स्थानीय इतिहास एवं परम्परा में इसी आलोक में बिहार से जुड़े स्थलों का अवलोकन किया गया है । इतिहास, परम्परा एवं आधुनिकता के बीच परस्पर आबद्ध सूत्रों की तलाश की गयी है। इस पुस्तक में बिहार के पाटलिपुत्र, मनेर, फतुहा, बिहारशरीफ, नालंदा, राजगृह, बराबर, गया, रोहतासगढ़, बक्सर, बाल उदर, जयमंगलागढ़, मुंगेर, हाजीपुर, वैशाली, मिथिला, स्थान, अकौर, बलिराजगढ़, सहरसा, लौरिया नंदनगढ़, विक्रमशीला, तेलियागढ़ी, राजमहल, मलूटी एवं लोहरदगा, जैसे स्थलों के संदर्भ में विचार व्यक्त किया गया है। इस पुस्तक के प्रकाशन से सम्बन्धित कई मुद्दे ऐसे हैं, जिनकी चर्चा हो पुस्तक की प्रासंगिकता और विषय के चयन के उद्देश्य को स्पष्ट कर सकेंग रामवृत्त बाबू, जिनके सम्मान में यह पुस्तक प्रकाशित की जा रही है, सदैव बिहारी अस्मिता की पहचान के लिए प्रयासरत रहे। बिहार के नव-निर्माण की प्रक्रिया में इन्होंने सतत् इस अस्मिता को तलाशने और स्थापित करने का प्रयास किया 1 सरकारी कार्य को अंजाम देते समय भी इनके अंदर बिहार की पीड़ा बनी रही और ये अपने को उस पीड़ा से कभी मुक्त नहीं कर पाए। रामवृत्त बाबू उस पीड़ा की अभिव्यक्ति अपने सफल कार्य संपादन के द्वारा किया करते थे। जब वे ठीकेदारी कार्य से विमुख हुए तो उन्होंने प्रकाशन के क्षेत्र में बिहार की अभिव्यक्ति बनने का सफल प्रयास किया। जानकी प्रकाशन की स्थापना उनके अथक प्रयासों का हो परिणाम था। दरअसल बिहार और इस क्षेत्र से संबंधित शोधों का प्रकाशन ही उनका मुख्य उद्देश्य था। यहाँ भी उनकी वह पीड़ा बिहारी अस्मिता को तलाश रही यी । आज मैं भी उनकी इस पीड़ा में शामिल होकर उसे महसूस करता हूँ। उस प्रेरणा पुंज के अभिनंदन ग्रंथ का विषय बिहार से अलग हो, इसकी कल्पना भी उनके सम्मान के लिए पीड़ादायक होगी ।
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Pages : | 153 |
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