Shopping Cart


Return To Shop
View Cart

सुमित्रानंदन 'पंत' का दर्शन (Sumitranandan Pant ka darshan)

साहित्य के माध्यम से पन्त जी ने यह सहज निष्कर्ष दिया है कि मानव जीवन के सत्य को समझना ही दार्शनिक तत्वों को आत्मसात् करना है। व्यापक अर्थ में, जीवन में मानव चेतना की ऊँची से ऊँची घाटियों का प्रकाश मन की लम्बी चौड़ी घाटियों का छायातप तथा जीवन की आकांक्षाओं का गहरा रहस्यपूर्ण अंधकार संचित है। मानव जीवन के छायान्वेषण में काम, विश्वप्रेम, मिलन और विरह भावना, वेदना तथा आशा निराशा सहज रूप से सन्निहित है। पंत जी ने अनुभव किया कि शान्ति और परितोष स्थायी नहीं, स्थायित्व में है। कवि शान्ति की खोज में योगिराज अरविन्द के आश्रम में भी पहुँचे। पन्त जी ने जड़ और चेतन में कोई भेद नहीं माना। उन्होंने माना है कि ज और चेतन दोनों में हो ईश्वर का निवास है। पंत-काव्य का सर्वश्रेष्ठ पक्ष उनक दार्शनिक अभिव्यक्ति है। उच्चतर कक्षाओं में कविवर सुमित्रानन्दन पंत के दर्शन प्रकाश डालने के सम्बन्ध में प्रायः प्रश्न पूछे जाते रहे हैं। तमी मेरा मन मुझसे पू या पंतजी ने किसी दर्शन का प्रतिपादन किया है? क्या उनका कोई निजी दर्शन है? क्या उन्हें दार्शनिक की कोटि में रखा जा सकता है? मानव मन में सौन्दर्य की अभिव्यक्ति उसको सहज वृत्ति होती है। मुझे ऐसा प्रतीत होता था कि पंत जी तंत्र विमोहन से सौन्दर्य की ओर खिंच रहे हैं। सौन्दर्य के प्रति उनका यह आकर्षण बाह्यपरक नहीं, मन और आत्मा को विमुध करने वाला है। उनके सुन्दरम् में सत्यम् का संधान और शिवम् की खोज है। ये संधान उनकी स्वानुभूति के प्रतिफलन अवश्य है, किन्तु ये किसी अन्य दार्शनिक के सिद्धान्त पर आधारित है। अस्तु यह प्रश्न उलझता ही गया कि क्या पंत जी का कोई निजी दर्शन है? कुछ लोग यह कहते रहे कि पंत जी भारतीय काव्यधारा से प्रभावित हैं और उनपर योगिराज अरविन्द के अध्यात्म दर्शन का प्रभाव पड़ा है। बहुतों से यह भी सुना था कि उन पर कार्य मार्क्स का प्रभाव है। ये द्वन्द्वात्मक भौतिकवाद से प्रभावित रहे हैं।


( No Reviews )

₹ 300 ₹342

342

No Cancellation
No Returnable
Product Details :
Pages : 153
Made In : India

Related Products



(1203 Reviews )