Gramin Samajshastra Avdharnaen Avm Siddhant ( ग्रामीण समाजशास्त्र अवधरनाएं एवम सिद्धांत )
विभिन्न ग्रामीण सामाजिक समस्याओं तथा सामाजिक परिवर्तन, ग्रामीण विकास जैसे चर्चित विषयों पर समाज वैज्ञानिकों के गुढ़ विचारों को व्यवस्थित ढंग से हिन्दी में प्रस्तुत करने का प्रयास काफी कम हुआ है । वर्त्तमान पुस्तक इस कमी को कुछ हद तक पूरा करती है । नाना प्रकार के गाँव के जटिल विचारों को यहाँ इतने सरस और सहज ढंग से रखने की कोशिश की गई है कि ग्रामीण समाजशास्त्र एवं ग्रामीण विकास के स्नात्तक एवं स्नात्तकोत्तर के विभिन्न स्तरों के पाठकों को यह पुस्तक समान रूप से बोधगम्य हो। पिछले पांच दशकों में भारतीय ग्राम्य वन के विविध पक्ष के छা वैज्ञानिक और समाजशास्त्रीय अध्ययन हुआ है। हम लोगों ने इन अध्ययनों के महत्त्वपूर्ण निष्कर्षों को शामिल करने का प्रयास किया है। इसके अलावा जहाँ सूचनाओं की जरूरत पड़ी है, वहाँ 2001 तक उपलब्ध आंकड़ों का प्रयोग किया गया है । प्रस्तुत पुस्तक में उन सभी विषयों का समावेश किया गया है जो कि विभिन्न विश्वविद्यालयों के बी० ए०, एम० ए० ग्रामीण समाजशास्त्र के पाठ्यक्रम में निर्धारित हैं । यथा-सम्भव पारिभाषिक शब्दों के चयन में भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा स्वीकृत हिन्दी शब्दावलों का प्रयोग किया गया है। जहाँ गये पर्याय गढ़ने पड़े हैं, वहाँ कोशिश यहाँ की गई है कि वे अर्थ पूर्ण होने के साथ-साथ सरल भी हो ।
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Pages : | 153 |
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