Mahatma Gandhi Ka Samajik Avm Arthik Darshan ( महात्मा गांधी के सामाजिक एवं आर्थिक दर्शन )
भारत की आजादी के पाँच दशक से अधिक गुजर गए । इस बीच हमारी अर्थव्यवस्था के विकास के लिए दस पंचवर्षीय योजनाएँ भी बीत गई है । 21वीं सदी की दहलीज पर खड़ा भारत आधुनिकीकरण एवं वैश्वीकरण के तीव्र दौर से गुजर रहा है। गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी, बीमारी, दहेजप्रथा, जनसंख्या वृद्धि, पर्यावरण हास जैसी समस्याओं आक्रान्त हमारा प्यार- न्याय भारत देश बापू के रामराज्य के सपनों को साकार करने में विफल रहा है। गाँधी का जीवन-दर्शन, व्यक्तित्व एवं कृतित्व बहुआयामी एवं व्यापक है। उनका उद्देश्य केवल राजनीतिक स्वतंत्रता दिलाना ही नहीं था, बल्कि सामाजिक, आर्थिक, विषमता को मिटाकर सांस्कृतिक विकास भी करना था। प्रस्तुत पुस्तक में वर्तमान परिवर्तित भारतीय परिवेश एवं संदर्भ में गाँधीजी के जीवन-दर्शन, सामाजिक, आर्थिक दर्शन को समझने, भारतीय ढाँचे में ढालने, राष्ट्रीय साँचे में संवारने की आवश्यकता के चतुर्दिक गुम्फित है । इस पुस्तक में संकल्पनात्मक पृष्ठभूमि, अध्ययन का महत्व, उद्देश्य, समस्या कथन, विषय वस्तु का चयन, पूर्व साहित्य का अनुशीलन, गाँधीजी के जीवन-दर्शन तथा वर्तमान संदर्भ में उसको प्रासंगिकता की चर्चा की गई है। गाँधी के समाज दर्शन आर्थिक दर्शन का वर्णन किया गया है।
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Pages : | 153 |
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