Upnishat Kalin Shiksha (उपनिषतकालीन शिक्षा)
प्रस्तुत पुस्तक प्राचीन भारतीय शिक्षा व्यवस्था के अध्ययन की श्रृंखला की एक कड़ी है। किन्तु इसमें नवीनता है। यहाँ विषय-वस्तु के प्रतिपादन के लिए विशेषत: उपनिषद् ग्रन्थों को हो आधार बनाया गया है। इस क्रम में वैसे उपनिषद् ग्रन्थों को भी ग्रहण किया गया है, जो प्राय: दुलर्भ हैं। वास्तव में गुरुकुल शिक्षा व्यवस्था उपनिषदों में ही वर्णित है। यहाँ आध्यात्मिक एवं दार्शनिक ज्ञान की पराकाष्ठा है। इन समग्र विषयों की इस पुस्तक में स्थान दिया गया है। यह पुस्तक उस युगीन शिक्षा व्यवस्था को दी है साथ ही इस विज्ञान युग मे इस शिक्षा की उपादेयता को बतलाती है। यह शिक्षाध्ययन के समग्र विषयों का सुष्ठु एवं सम्यक् निवेश है। प्रथम अध्याय में वैदिक साहित्य में प्राप्त शिक्षा विषयक उल्लेखों को अकित किया गया है। इसमें वेदो वेदेतर साहित्य एवं उपनिषदों में उपलब्ध होने वाली शिक्षा के स्वरूप पर प्रकाश डाला गया है। यह अध्याय एक प्रकार से शोध प्रबन्ध की पृष्ठ भूमि का कार्य करता है। प्रस्तुत पुस्तक में उपनिषत्कालीन शिक्षा के विविध पक्षों के अध्ययन के परिणाम को उपनिबद्ध किया गया है। शोध-प्रबन्ध नौ अध्यायों में विभक्त है।
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Pages : | 153 |
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