अद्भुत रामायण का परिशीलन (Adbhut Ramayan ka parishilan)
"अद्भुतरामायण का परिशीलन” विषयक प्रस्तुत पुस्तक को विजनों के समक्ष उपस्थापित करते हुए मैं अपार हर्ष का अनुभव कर रहा हूँ। साथ मेरे जैसे एवं अनुभवहीन लेखक का उपर्युक्त विषयक अन्वेषण लेखन में प्रवृत होना "तितीर्षुदुस्तर मोहात् उडुपेनाऽस्मि सागरम् जैसा दुःसाहस ही प्रतीत हो रहा है। अपनी क्षमता, योग्यता एवं श्रद्धेय गुरुजनों के सान्निध्य, परामर्श निर्देशन का पूर्ण सदुपयोग करते हुए मैंने प्रस्तुत पुस्तक को सम्पादित करने का यथासंभव प्रयास किया है। अतः सुधिजनों से मेरा विनम्र निवेदन होगा कि वे मेरे द्वारा उपस्थापित इस पुस्तक को बाल सुलभ प्रयास के रूप अस्वीकार करने का कष्ट करेंगे। इस सन्दर्भ में सर्वप्रथम मैं अपने परमपूज्य द्वान् गुरुदेव डॉ० वैद्यनाथ मिश्र, संस्तु विभागाध्यक्ष, जगलाल चौधरी विद्यालय, उपरा के श्रीचरणों में पुष्प अर्पित करते हुए कृतज्ञतापूर्वक आभार व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने मेरे इस पुस्तक के लेखन कार्य के पुनर्निरीक्षण तथा स्पष्टीकरण एवं प्रुफरीडिंग में आद्योपान्त निरन्तर सहयोग मार्गदर्शन किया है।
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Pages : | 153 |
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