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गोस्वामी लक्ष्मीपति का जीवन और दर्शन (Goswami lakshmipati ka Jivan aur Darshan)
लेखक ने प्रस्तावित विषय पर मौलिक लेखन किया है । पुस्तक सामाग्री का चयन एवं गोस्वामी लक्ष्मीपति जैसे गौण लेखक कवि पर शोध कार्य करना 1 निश्चित रूप से सराहनीय कार्य कहा जा सकता है । वस्तुतः लेखक का यही औचित्य भी है । लेखक ने बड़े ही कठिन श्रम के आधार पर संत लक्ष्मीपति की रचनाओं का उल्लेख करते हुए उनके रचित 13 (तेरह) ग्रंथो की चर्चा की है तथा साहित्यिक दृष्टि से प्रकाश डाला है । लेखक ने संत कवि लक्ष्मीपति के काव्य में विभिन्न दार्शनिक मान्यताओं यथा- परमात्मा, सगुण ब्रह्म निर्गुण ब्रह्म, जगत. जीव माया, आत्मा पुर्नजन्म आदि का विवेचन तो किया ही है, उसके साथ-साथ पूर्ववर्ती संत कवियों की रचनाओं से उदाहरण देते हुए तुलनात्मक अध्ययन भी प्रस्तुत किया है। लेखक की भाषा तर्कपूर्ण एवं शैली में प्रवाह है इन्होंने सही अर्थ में शोधमूलक दृष्टि का परिचय दिया है। सम्पूर्ण शोध में प्रमाणिक ढंग से उदाहरण प्रस्तुत कर लेखन को शोधपरथः एव नव्यदृष्टि बोधक बनाया गया है।
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Pages : | 153 |
Made In : | India |