बिहार में जनजातीय महिलाओं का सशक्तिकरण (Bihar mein janjatiyan mahilaon ka sashaktikaran)
प्रस्तुत पुस्तक 'बिहार में जनजातीय महिलाओं का सशक्तिकरण' में यह बतलाया गया है कि महिला सशक्तिकरण सिर्फ एक आन्दोलन या आदर्श नहीं है, वस्तुतः यह एक प्रक्रिया है एक गतिशील प्रक्रिया जिसका लक्ष्य महिलाओं को शक्ति से युक्त एवं अधिकार सम्पन्न इस पुस्तक में जनजातीय महिलाओं के सशक्तिकरण के विभिन्न आयामों का विश्लेषण है । इसमें जनजातीय महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण, सामाजिक सशक्तिकरण, आर्थिक सशक्तिकरण तथा सांस्कृतिक सशक्तिकरण को रेखांकित किया गया है और उनके किरण की राह में आने वाली किरण सिर्फ एक आन्दोलन मा आदर्श नहीं है, वस्तुतः यह एक प्रक्रिया है एक गतिशील प्रक्रिया जिसका लक्ष्य महिलाओं को शक्ति से युक्त एवं अधिकार सम्पन्न इस पुस्तक में जनजातीय महिलाओं के सशक्तिकरण के विभिन्न आयामों का विश्लेषण है । इसमें जनजातीय महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण, सामाजिक सशक्तिकरण, आर्थिक सशक्तिकरण तथा सांस्कृतिक सशक्तिकरण को रेखांकित किया गया है और उनके सशक्तिकरण की राह में आने वाली बाधाओं की भी चर्चा की गई है यह सही है कि आदिवासी महिलाओं का सशक्तिकरण आज भी एक दूर का लक्ष्य है लेकिन यह भी उतना ही सही है कि अब वे इस दिश में अग्रसर हो चुकी है। महिला सशक्तिकरण आज एक आधारभूत आवश्यकता समझी जा रही है। मेरे इस पुस्तक का उद्देश्य बिहार के जनजातीय समाज की महिलाओं के सशक्तिकरण के विभिन्न पहलुओं को सामने लाना है। प्रस्तुत पुस्तक बिहार में जनजातीय महिलाओं का सशक्तिकरण (1900- 2000) में यह बतलाया गया है कि महिला सशक्तिकरण सिर्फ एक आन्दोलन या आदर्श नहीं है, वस्तुत: यह एक प्रक्रिया है, एक गतिशील प्रक्रिया जिसका लक्ष्य महिलाओं को शक्ति से युक्त एवं अधिकार सम्पन्न बनाना है। यह कोई वस्तु नहीं है जिसका आदान-प्रदान किया जा सके। यह एक आन्तरिक चेतना है जिसे प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तरीके से कई ऐतिहासिक कारक प्रेरित एवं प्रभावित करता है। इस पुस्तक में आदिवासी महिलाओं के सशक्तिकरण के विभिन्न आयामों का विश्लेषण है। इसमें आदिवासी महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण, सामाजिक सशक्तिकरण, आर्थिक सशक्तिकरण तथा सांस्कृतिक सशक्तिकरण को रेखांकित किया गया है। साथ ही उनके सशक्तिकरण की राह में आनेवाली बाधाओं की भी चर्चा की गई है। यह सही है कि आदिवासी महिलाओं का सशक्तिकरण आज भी एक दूर का लक्ष्य है लेकिन यह भी उतना ही सही है कि अब वे इस दिशा में अग्रसर हो चुकी हैं। विविध कानून जहाँ आदिवासी महिलाओं को सुरक्षा कवच प्रदान कर रहे हैं वहीं कल्याणकारी योजनायें उनकी प्रगति का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं।
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Pages : | 153 |
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