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मगही और हिन्दी का तुलनात्मक अध्ययन (magahi aur hindi ka tulnatmak aadhayan)

प्रस्तुत पुस्तक में अध्ययन के लिए तुलनात्मक पद्धति को अपनाया है। तुलनात्मक अध्ययन के अन्तर्गत ध्वनियों की तुलना, व्याकरणिक रूपों की तुलना, वाक्यगठन की तुलना, दोनों भाषाओं को बोलनेवालों की साहित्यिक और सांस्कृतिक परम्पराओं, उनके शरीर, जीवन, संस्कृति आदि का अध्ययन होता है। लघु शोध प्रबन्ध में मगही और हिन्दी के व्याकरणिक रूपों का साम्य और वैषम्य स्पष्ट करने की चेष्टा की है। यूरोपीय परिवार से उत्पन्न आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं का परिचय देते हुए तथा उसमें हिन्दी और मगही का स्थान निरूपित करते हुए दोनों के रूपिम (पदग्राम) रूपीय प्रक्रिया, रूपीय विवेचन को पद्धतियों, पद विभाग तथा व्याकरणिक कोटियों के बीच साम्य और वैषम्य दिखलाने का प्रयास किया गया है। अर्थात् तुलनात्मक अध्ययन के लिह ध्वनियों, वाक्य गटनों या अन्य अंगो को मैंने अपने विवेचन का विषय नहीं बनाया है। अधिकांश विद्वान यह मानते हैं कि हिन्दी की उत्पत्ति अर्द्धमागधी से हुई है। इस वरण को सेकर भाषा वैज्ञानिकों में सहमति असहमति के जो भी विमर्श रहे हॉ यह बात तो तय है कि इन दोनों में काफी निकट का रिश्ता रहा है। जाहिर है इनके साम्यम्य को लेकर हिन्दी में अध्ययन का एक सिलसिला मौजूद रहा है लेकिन इस पर स्वतंत्र पुस्तक संभव अभी तक सामने नहीं आयी है। इसी को ध्यान में रखते हुए मैंने इस पुस्तक 'मगही और हिन्दी का तुलनात्मक अध्ययन (भाषा विज्ञान और व्याकरण के दृष्टिकोण से )' को सामने लाने की जिन कोशिश की है। बिहार की तीनों प्रमुख लोकभाषाओं- भोजपुरी, मगही और मैथिली में हिन्दी के आसंग में मगही का संबंध विशेष रूप से उल्लेखनीय है। मगध प्रदेश को ऐतिहासिक महता से भी ज्यादा महत्वपूर्ण इसका सिद्ध साहित्य है, जिससे हिन्दी का नाभि-नाल का रिश्ता सिद्ध हो चुका है। भाषा और साहित्य दोनों स्वरों पर हिन्दी का इतिहास जिस आदिकाल से प्रारम्भ होता है, उसकी जड़ें सिद्धों के साहित्य में है, जो मगही का आदि साहित्य है। यह ऐतिहासिकता हिन्दी और मगही को स्वभावतः बहुत समीप लाती है, इसलिए इन दोनों के साम्य और वैषम्य का अध्ययन हर दृष्टि से महत्वपूर्ण है। मैंने ऐसा करते हुए इसके अध्ययन की परम्परा का एक संक्षिप्त आकलन भी प्रस्तुत किया है। इसी आसंग में मैंने उन बिन्दुओं को भी इंगित करने की कोशिश की है जिससे इसके अध्ययन की उपादेयता सिद्ध हो सके।


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Pages : 153
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