Shopping Cart


Return To Shop
View Cart

मध्ययुगीन भारतीय दर्शन (Madhyayugin Bhartiya Darshan)

प्रस्तुत पुस्तक मध्यकालीन भारतीय दर्शन की विशेषताओं को प्रस्तुत करती है। कबीर, रैदास और नानक के दार्शनिक विचार को सरल एवं सहज भाषा में प्रस्तुत किया गया है। कबीर और रैदास ने "राम" के संप्रत्यय को निराले ढंग से प्रस्तुत किया है। नानक ने "वाहे गुरु" के रूप में ईश्वर को स्वीकारा है। निराकार, निर्गुण ब्रह्म के साथ-साथ सगुण ब्रह्म की भी स्वीकृति है। तीनों दार्शनिक सामाजिक-धार्मिक सुधारक भी थे। अत: उनके सामाजिक-धार्मिक विचार को भी प्रस्तुत किया गया है। पटना विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर दर्शन विभाग ने ही संभवत: प्रथम बार अपने पाठ्यक्रम में मध्ययुगीन भारतीय दर्शन को स्थान दिया है। दर्शन की दृष्टि से कबीर, रैदास और नानक का परिचय प्रथम बार इस पुस्तक के माध्यम से छात्रों एवं पाठकों तक पहुँचेगा। साधारणत: भारतीय दर्शन को ब्रह्मवादी दर्शन माना जाता है। ब्रह्मयाद वह परमतत्व के रूप में एकमात्र एकसत्ता. ब्रह्म को स्वीकारता है। ब्रह्म की अभिव्यक्ति ही समस्त चराचर पदार्थ है। ब्रह्मवाद के भी दो रूप हैं- निर्गुण ब्रह्मवाद या निर्गुणवाद एवं सगुण ब्रह्मवाद या सगुणवाद । निर्गुणवाद के निर्गुण रूप को स्वीकारता है, तो सगुणवाद उसके सगुण रूप को स्वीकारता है। निर्गुणवाद के अनुसार ब्रह्म निराकार है, जबकि सगुणवाद ब्रह्म को साकार मानता है। निर्गुण और निराकार होने के कारण ब्रह्म मनुष्य एवं अन्य प्राणियों के अंतःस्थल में बसा है, वह पेड़-पौधों, पत्थरों आदि अचेतन पदार्थों में भी निहित है। इसलिए उपनिषदों में आत्मा को ही ब्रह्म माना गया है आत्मा के दो स्तरों की बात की गयी है। उच्चतर आत्मा जो ब्रह्म मात्र - है और निम्नतर आत्मा जो जीव (मनुष्य सहित अन्य चेतन प्राणी) है। निम्नतर आत्मा की पूर्णता उच्चतर आत्मा है । परन्तु सगुणवाद के अनुसार पूर्णता केवल ईश्वर (सगुण ब्रह्म) की है। ईश्वर का अंश मात्र मनुष्य एवं अन्य प्राणी है। पत्थर आदि निर्जीव पदार्थ भी ईश्वर का अंश मात्र ही है। अवश्य पूर्ण सत्ता सिर्फ ईश्वर है जिसे आकार दिया जा सकता है। यही कारण है कि सगुणवाद मूर्तिपूजा का समर्थन करता है। राधा-कृष्ण, सीताराम के रूप में ईश्वर की शक्ति और ईश्वर के प्रगाढ़ एवं अभिन्न संबंध को दिखलाया गया है। साथ ही, स्त्री पुरुष की अभिन्नता को भी दर्शाया गया पुरुष के लिए स्त्री और स्त्री के लिए पुरुष अनिवार्य है। इस अनिवार्यता निवाद नहीं स्वीकारता है। इसलिए उसमें कठोरता आ जाती है.


( No Reviews )

₹ 259 ₹299

299

No Cancellation
No Returnable
Product Details :
Pages : 153
Made In : India

Related Products



(1203 Reviews )