Shopping Cart


Return To Shop
View Cart

लोरिक चंदा समग्र (Lorik Chanda Samagra)

लोरिक- चन्दा-समग्र चौर गाथात्मकलोक महाकाव्य के साथ प्राचीन आउ अतिव्यापक महाकाव्य हे। हम लोक भाषा-साहित्य के अनुसंधान क्रम में अनेक लोक गाथाओं के आशिक संचयन कइली हे। जइसन कि हमरा स्मरण हे कि एक बार लोरिकाइन गायक के गीत सुने के मौका मिलल हल जे अद्वितीय हल। उ हमरा काफी आकर्षित आउ प्रभावित कइलक हुल लोरिक लोक संस्कृति, लोकतंत्र आउ गो-रक्षा, नारी सम्मान, दलित पीड़ित के उत्थान लेल जीवन पर्यन्त हलकानी उठउलन हला ओकर बाद प्रभावित होके हमहूँ गावे लगली हल। हम सब लोक भाषा में प्रचलित लोरिकाइन के समान तत्वन के ग्रहण कर एक विशाल चरित्र महाकाव्य के गद्यात्मक स्वरुप प्रदान करे के प्रयास कइली हे जे सहज, सरल आउ बोधगम्य है। गागर में सागर भरे के भागिरथी प्रयत्न कइल गेल है। डॉ. कुमार इन्द्रदेव का शोधपूर्ण विवेचना पढ़ा। यथार्थत: इन्होने लोक कंठ से निकाल कर महानायक लोरिक चंदा का समग्रता में विवेचन किया है। लगता है भारत की प्राय: सम्पूर्ण लोक भाषाओं में गेय इस लोक महाकाव्य का गहन अध्ययन कर मौलिक विवेचन किया है। लगता है लेखक लोरिकायन गायक भी है अन्यथा इतना तलस्पर्शी विवेचन सम्भव नहीं था। लेखक ने लोरिक और उसके परिवार की जीवन गाथा और कर्तव्य का विस्तृत और प्रामाणिक वर्णन किया है। आलेख में लोरिक का जन्म स्थान, उसके कार्य क्षेत्र और भिन्न-भिन्न अत्याचारी राजाओं से युद्ध का सटीक चित्र उकेरने का प्रयास गहन शोध का प्रयास है। सम्भवतः लोरिकाइन पर ऐसा शोध प्रबंध प्रथम है। इसकी विशेषता है कि लोरिक को तीन पीढ़ी की कथा कही गई है लोरिक के माता-पिता, गुरु और स्वयं लोरिक, उसका भाई सँवरु तथा पत्नी मंजरी, चंदा, जमुनी कलवारिन का तथ्यपूर्ण वर्णन है। साथ ही लोरिक के पुत्र भोरिक, सँवरू के पुत्र देवराजित. चंदा के पुत्र चनराजितः तथा हरेवा परेवा के पुत्र बलरा के कर्तव्यों का भी उल्लेख सविस्तार किया गया है। डॉ. कुमार इन्द्रदेव ने अपने ऐतिहासिक और भौगोलिक दृष्टिकोण को भी प्रमाणिक रूप से उजागर किया है क्योंकि गाथा में आए स्थान और उसका इतिहास प्रमाण से सम्पुटित है। अतः पुस्तक मौलिक, पठनीय और संग्रहनीय है।


( No Reviews )

₹ 165 ₹197

197

No Cancellation
No Returnable
Product Details :
Pages : 153
Made In : India

Related Products



(1203 Reviews )