विवेकानंद चरितावली (Vivekanand Charitavali)
अपनी मातृभूमि में स्वामी विवेकानन्द आधुनिक युग के देशभक्त, संत तथा भारत की प्रसुप्त राष्ट्रीय चेतना के प्रेरणा पुरुष माने जाते हैं। स्वामी जी ने एक बार स्वयं को घनीभूत भारत' की संज्ञा प्रदान की थी। एशिया का मानस समझने के लिए उनके जीवन तथा वाणी असीम है। उनके का महत्व कार्य एवं व्यक्तित्व वर्णनातीत है। स्वामी जी ने अपने गुरु रामकृष्ण देव से मानव सेवा एवं जीवन का सर्वोच्च. लक्ष्य ईश्वरोपलब्धि की जो शिक्षा प्राप्त की थी उसे पूर्णरूप से अपने जीवन में उतारा था। यही उनके जीवन को सर्वोत्कृष्ट उपलब्धियाँ थी। प्रस्तुत चरितावली में स्वामी जी की जीवन लीला को अंकित कर आम पाठकों तक पहुँचाने का जो श्रम किया गया है उसकी किचित सार्थकता भी आप विद्वतजनों की भावग्राहकता एवं सहृदयता पर निर्भर है।
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Pages : | 153 |
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