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शिखर की ओर बिहार (Shikhar ki oor Bihar)

बिहार भारत के प्रमुख प्रदेशों में एक है । 12वीं शताब्दी के अंत में (ओदन्तपुरी के समय) बौद्ध विहारों की बहुलता के कारण इसका नाम 'बिहार पड़ा जो कलान्तर में'बिहार' प्रचलित हो गया । बिहारशरीफ में किम्बदती है कि 'बिहार शरीफ' का नाम पूर्व में उदंतपुरी था जो धीरे-धीरे 'बिहार' हो गया, क्योंकि महत्वपूर्ण बौद्ध विहार इसी क्षेत्र में पड़ते हैं जैसे- राजगीर के बौद्ध स्तुप, गया के बौद्ध मंदिर, बुद्ध का बोधी वृक्ष इत्यादि । प्राचीनकाल में बिहार को मगध प्रदेश के नाम से जाना जाता था । मगध प्रदेश की राजधानी पाटलिपुत्र (पटना) में थी। वर्तमान पटना का नाम पहले पाटलिपुत्र कुसुमपुर और अजीमाबाद था । पाटलिपुत्र नाम काफी लोकप्रिय था । लेकिन शेरशाह सुरी ने पाटलिपुत्र का नाम बदलकर 'ना' कर दिया। अभी 'यह शहर पटना से मशहूर है। प्राचीन भारत में मगध साम्राज्य का गौरवमयी प्रभाव रहा है । प्राचीन भारत में मगध, अंग, वैशाली और मिथिला राज्य भारतीय संस्कृति, सभ्यता और अहिंसा प्रचार-प्रसार महत्वपूर्ण योगदान था । नीति और व्यवहार से हो किसी की अच्छाई और बुराई, खुबियों और खामियों का मूल्यांकन किया जा सकता है। इसी मापदंड पर इस पुस्तक के लेखक ने हर समय के विकास को तराजू पर तौलने का सफल प्रयास किया है। शिक्षा, कृषि व्यवस्था विधि व्यवस्था, स्वास्थ्य, कोऑपरोटिव, जनकल्याण के बिन्दु पर आज की सरकार किस वाह अनेक बाधाओं के बावजूद सोच-समझकर अपना कदम उठा रही है. इसकी यात्मक व्याख्या लेखक ने किया है, जो काबिले तारीफ है। बिहार को गौरव प्रदान करने में आज की सरकार किस तरह नीति और व्यवहार की संतुलन बनाकर अपना कार्य सम्पादन कर रही है. इसकी चर्चा खुबी इस पुस्तक में को गयी है। विषयवार और बिन्दुवाद जिस तरह से तथ्यों को इस पुस्तक में संग्रहित किया है, उससे यह स्पष्ट हो जाता है कि लेखक ने किसी में इस पुस्तक को रेना नहीं की है।


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Pages : 153
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