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श्री राम कथा मृतम् (Shree Ram Kathamritam)
श्री राम कथामृतम् 'कमपित्री द्वारा राम चरित को सरल, सहज एवं सुबोध शब्दों में बालोपयोगी सांचे में ढालने का सत्प्रयास है। स्वभावतः बच्चों गृह, मोटी और गंभीर किताबों से भागते हैं। पढ़ने में रूचि विकसित होने पर बच्चों को अपने मानसिक विकास के लिए ऐसे बाल साहित्य की जरूरत पड़ती है। जिसे वे अपना समझकर आत्मसात कर लें। ऐसा साहित्य मनोरंजन के अलावा बालकों में नेक भावनाओं का उदय करने में भी सहायक होता है। कवयित्री ने बाल साहित्य की बुनियादी आवश्यकताओं को भलीभाँति ध्यान में रखकर इस खंड काव्य की रचना की है। समस्त रामचरितमानस में राम को सत्य, न्याय, क्षमा, उदारता, कृपा और स्नेह का उच्चतम भाव प्रदर्शित करते हुए चित्रित किया गया है। निस्संदेह मानव के सद्गुणों का समन्वय उसी में निहित है जिससे समाज, वर्ग, परिवार और व्यक्ति की मर्यादा सुरक्षित रहे। राम सर्वादा के संरक्षण में सर्वोतम है। उन्न्वतम गुणों को बच्चों के प्रभाव्यमस्तिष्क में सोद्देश्य से कवयित्री ने अत्यन्त्य एवं अत्य सरल शब्दों में पूरे रामायण का मर्म को का कठिन कार्य बखूबी किया है साथ ही के के लिए सदाचार मातृभाव सेवा एवं सत्यनिष्ठा को देने का कार्य किया है। इस रचना में सादगी और मिठास के साथ सहृदयता और प्रांजलता मौजूद है। प्रसंगानुकूल चित्रों का समावेश प्रभावोत्पादक है और बच्चा को भायेगा। इस कृति में बच्चों की रुचि के अनुकूल ही भाव, भाषा, शैली, जवह आदि विद्यमान हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि चालकों की महज वृति में तारतम्य होकर यह खंड काव्य उद्भूत हुई है। निस्संदेह बच्चे इस सादृश्य काव्य में लाभान्वित होंगे और भावी जीवन में चारित्रिक उत्थान की दिशा में अग्रसर होंगे।
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Pages : | 153 |
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